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डरे कोरोना…भागे..

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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सौ करोड़,हाँ,सौ करोड़ हम,
दुनिया में हुए आगे।
एक सुरक्षा कवच बना,
जहां,डरे कोरोना भागे।
ताली,थाली,लॉकडाउन सब,
जनता के बने हथियार।
दुनिया केवल ताकती रह गई,
वैक्सीन हमारी हुई तैयार।
शासन भी मुस्तैद खड़ा रहा,
सजग प्रशासन जागे।
सौ करोड़,हाँ,सौ करोड़ हम,
दुनिया में हुए आगे।
एक सुरक्षा कवच बना,
जहां,डरे कोरोना भागे…॥

कुछ सख्ती,कुछ प्यार-मोहब्बत,
साथ सभी का बना रहा।
एक-एक का मिला सहयोग,
हाथ सभी का लगा रहा।
सब मिल एक प्रयासों से ही,
हम असीम ऊंचाइयां लांघे।
सौ करोड़,हाँ,सौ करोड़ हम,
दुनिया में हुए आगे।
एक सुरक्षा कवच बना,
जहां,डरे कोरोना भागे…॥

साठ,पैंतालीस,अठारह का,
समय निर्धारण मिसाल बना।
मात्र उम्र नहीं समता का भी,
जनता-मन विश्वास जमा।
वयस्क सभी ही बने सुरक्षित,
जब टीका-कोरोना लागे।
सौ करोड़,हाँ,सौ करोड़ हम,
दुनिया में हुए आगे।
एक सुरक्षा कवच बना,
जहां,डरे कोरोना भागे…॥

बचपन भी हो निकट भविष्य,
सुरक्षा चक्र के घेरे में।
सभी भारतीय तब ही सुरक्षित,
कोरोना के पग-फेरे से।
स्वस्थ हो भारत,सदा सुरक्षित,
‘अजस्र’ दुआ यही मांगे।
सौ करोड़,हाँ,सौ करोड़ हम,
दुनिया में हुए आगे।
एक सुरक्षा कवच बना,
जहां,डरे कोरोना भागे…॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार ‘अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि १७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान बूंदी (राजस्थान) है। आप बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान आदि मिले हैं।

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