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‘डर’ नकारात्मक विचार

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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डर के हैं भिन्न-भिन्न नाम,
कहीं भय, त्रास और खौफ
कहलाता है,
अंदेशा और आशंका के
नाम से भी यह जाना जाता है,
बुरा घटित होने की सम्भावना
ही ‘डर’ कहलाता है,
यह सफ़र में विघ्न पैदा होने का,
संकेत भरपूर दे जाता है।

डर जीवन के खुशनुमा रंग में,
एक नकारात्मक विचार है
प्रगति पथ पर आगे बढ़ने में एक,
बहुत बड़ा कठोर प्रहार है।

ज़िन्दगी में ज़िन्दगी से,
लड़ने में एक बहुत बड़ा रोड़ा है
सफ़ल सुरक्षित रहने के लिए,
हमें बाधाओं को समाप्त करने के लिए
मजबूती से चलाना हथौड़ा है।

डर सदैव प्रगति पथ पर आगे बढ़ने में,
एक मानवीय कमजोरी है
आगे बढ़ने में हुनर नहीं बल्कि,
यह एक बना देता मजबूती से दूरी है।

डर एक मानवीय रिश्तों को,
कमजोर करने वाला तन्त्र है
सफलता में अवरोध पैदा कर,
हमें बना देता परतंत्र है।

डर जीवन का सन्नाटा है,
उत्साहित समर को
कमजोर और निकृष्ट करने वाला,
कुत्सित मानसिकता से सना तन्त्र
जो जीवन की गति धार पर चल निकली,
गाड़ी का रोक देता फर्राटा है।

मजबूत और बुलन्द हौंसले से,
डर को नेस्तनाबूद करने में
डर को खत्म कर हृदय में,
हमें सक्षम बने रहना चाहिए।
सदैव सफ़ल होने का मजबूत जज्बा,
मन में लगातार पैदा करते रहना चाहिए॥

परिचय–पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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