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डॉ. रामरेखा सिंह के व्यंग्य में है हरिशंकर परसाई की धार

पटना (बिहार)।

साहित्य की सबसे कठिन विधा है ‘व्यंग्य’! इसे साधना सरल नहीं है। इसे फूहड़ता से बचाना और साहित्य के लालित्य के साथ परोसना एक बड़ी कला है, जिसे व्यंग्य के महान लेखक हरिशंकर परसाई ने सिद्ध किया था। बिहार के चर्चित चिकित्सक और लेखक डॉ. राम रेखा सिंह एक ऐसे ही व्यंग्यकार हैं, जिन्होंने इस कठिन विधा को सिद्ध किया है।
रविवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन व्यंग्य-संग्रह ‘पुण्य की लूट’ के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने यह बातें कही। उन्होंने कहा कि, पुस्तक में ३१ व्यंग्य-कथाएँ हैं, जिनमें आज का पूरा समाज समाहित हो गया है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सीताराम सिंह ‘प्रभंजन’ ने पुस्तक की सविस्तार समीक्षा की और कहा कि, लेखक ने व्यंग्य को साधने की गम्भीर चेष्टा की है। धन और पद की लोलुपता से ग्रस्त समाज की विद्रूपता को लेखक ने श्री परसाई की दृष्टि से देखा है। इन्होंने सरलतापूर्वक मानवीय संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने में सफलता अर्जित की है।
मुख्य अतिथि और राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि, लोकार्पित पुस्तक के लेखक चिकित्सा विज्ञानी होते हुए भी साहित्य का सृजन कर रहे हैं, यह हिन्दी के लिए बहुत शुभदायक विषय है। लेखक ने अपने व्यंग्य के माध्यम से, राजनीति, धर्म और प्रबुद्ध समाज में व्याप्त पाखंड को निकालकर समाज के सामने रखा है।
भारतीय चिकित्सा संघ (बिहार) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार, सम्मेलन के उपाध्यक्ष जियालाल आर्य, डॉ. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित लघुकथा गोष्ठी में डॉ. शंकर प्रसाद, डॉ. पुष्पा जमुआर, डॉ. पूनम आनन्द, जय प्रकाश पुजारी और मीरा श्रीवास्तव आदि ने अपनी लघुकथा का पाठ किया। आयोजन में
चर्चित व्यंग्यकार बाँके बिहारी साव, अवध बिहारी सिंह, डॉ. नागेश्वर प्रसाद यादव, डॉ. अर्चना त्रिपाठी और वरिष्ठ कवि राशदादा राश आदि प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।
मंच का संचालन ब्रह्मानंद पाण्डेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने दिया।