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…ताकि उसके बच्चों के सपने रंगीन हों

रितिका सेंगर 
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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मिट के खुश होना
पंख बहुत मजबूत थे उसके…
उड़ान भरना जानती थी वो फिर भी,
खुद को कर लिया कैद
पिंजरे में…
ताकि,उसके बच्चों को
मिल सके आशियाना…l
शब्द बहुत थे पास उसके,
बोलना आता था उसको
पर रही खामोश…
ताकि,उसके बच्चों को
रिश्ते मिल सकेंl
हौंसला बुलंद था,
आशाएं बहुत थीं आसमां छूने की
लेकिन सिकुड़ कर रह गई वो,
ताकि,उसके बच्चों के
सपने रंगीन होंl
खुद प्यासी रही और बदरी
बन प्यास बुझाती रही,
अपने बच्चों की…l
खुद की झोली करती रही
खाली, और
झोली भर दी अपने बच्चों कीll

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