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सास-बहू का रिश्ता

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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सास,बहू का रिश्ता क्या होता है,
मैं तुमको समझाता हूँ।
हर घर की कहानी,तुमको मैं सुनाता हूँ,
सुनकर कुछ सोचना,और कुछ समझना।
सही बात यदि मैंने कही,तो बता देना मुझे॥

सास-बहू का रिश्ता बड़ा अजीब होता है,
बहू,सास को माँ कहे तो रिश्ता प्यारा होता है।
सास अगर बहू को बेटी कह के पुकारे तो,
ये रिश्ता माँ और बेटी जैसा बन जाता है॥

सास,बहू का रिश्ता बड़ा अजीब होता है,
सास,बहू को बहू ही समझे तो खटा होता है।
बहू सास को सास माने तो झगड़ा होना है,
न तुम न हम कम,फिर घर अशांत होना है॥

इन दोनों की तकरार में बाप-बेटे पिसते हैं,
बहुत दिन तक दोनों मौनी बाबा बने रहते हैं।
पर जिस दिन भी ये सब्र का घड़ा फूटता है,
और उसी दिन से दो चूल्हे घर में हो जाते हैं॥

घर का माहौल सास-बहू पर निर्भर करता है,
सास को माँ और बहू को बेटी जैसा मानती है।
वो घर-द्वार स्वर्ग जैसे स्वयं ही बन जाते हैं,
और कलयुग में भी रामराज्य जैसा घर पाते हैं॥

परिचय-संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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