कुल पृष्ठ दर्शन : 123

You are currently viewing तुम भी ना…

तुम भी ना…

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
********************************************

क्या खुद को रूला सकोगे।
मुझको तुम भुला सकोगे।

वजह नमी की आँखों में,
क्या सबको बता सकोगे।

यादों को कहाँ रखोगे,
वो लम्हें जला सकोगे।

सावन फागुन सुलगेगा,
धुँआ कहाँ छुपा सकोगे।

वादों को विदा करोगे,
ख्वाबों को सुला सकोगे।

न वफ़ा से दगा करोगे
न जज्बात मना सकोगे।

मेरी छुअन रिहा करोगे
कफ़स नयी बना सकोगे।

तेरा हिसाब कच्चा है,
जोड़ोगे न घटा सकोगे।

मरहम ही न लगाओगे,
न ही ज़ख्म दिखा सकोगे।

आ तुझे गले लगा लूँ मैं,
दे न मुझे सजा सकोगे॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।