कुल पृष्ठ दर्शन : 347

You are currently viewing तू कहीं नहीं जाना

तू कहीं नहीं जाना

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

**********************************************************************

ऐ मेरी जाने ग़ज़ल,तू कहीं नहीं जाना,
तेरे होने से ही सुकूं का है आना-जाना।

मेरी तन्हाई सताती बहुत ही मुझको,
तेरे जाते ही इसका रहता है आना-जाना।

इतना मशगूल मुझे रखती है शिद्दत तेरी,
वक्त का भी नहीं पता चलता है आना-जाना।

तेरी शिरकत ने ‘चहल’ को दिया सुकूं जानम,
तुझसे ही तो करारे-दिल का है आना-जाना॥

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

Leave a Reply