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दीप मेरे तू जल रहा अनंत

अल्पा मेहता ‘एक एहसास’
राजकोट (गुजरात)
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दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष ……

दीप मेरे तू जल रहा अनंत,
तेरी भक्ति पे तेरा विश्वास प्रचंड।

तू वायु-वायरों से जूझता रहता,
प्रहार घिर तू सहता रहता।

वेदना से तू न हारा कभी,
संवेदना से तूने तारा सभी।

हौले-हौले टिमटिमाते रहता,
ज्योति जलाए तिमिर चिरता रहता।

आँधियों से भी तेज निश्चय तेरा,
न हार माने तू ये संकल्प तेरा।

मनुज में भी होती धैर्यता तुझ समी,
हज़ारों आँधियों में दृढ़ता होती खड़ी।

भक्ति बरसती नैनों से धार बन,
क्रोधाग्नि बुझाती मेघ मल्हार बन।

दीप तेज नयन सूरज समा,
मुख हर्षभाव शीतल चन्द्रमा समा।

मस्तक तिलक वीरता का चिन्ह,
जीवनपथ जीता…।

दीए के पदचिन्ह…दीए के पदचिन्ह..
दीप मेरे तू जल रहा अनंत…॥

परिचय-अल्पा मेहता का जन्म स्थल राजकोट (गुजरात)है। वर्तमान में राजकोट में ही बसेरा है। इनकी शिक्षा बी.कॉम. है। लेखन में ‘एक एहसास’ उपनाम से पहचान रखने वाली श्रीमती मेहता की लेखन प्रवृत्ति काव्य,वार्ता व आलेख है। आपकी किताब अल्पा ‘एहसास’ प्रकाशित हो चुकी है,तो कई रचना दैनिक अख़बार एवं पत्रिकाओं सहित अंतरजाल पर भी हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ़ टेलेंट रिकॉर्ड सहित मोस्ट संवेदनशील कवियित्री,गोल्ड स्टार बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं इंडि जीनियस वर्ल्ड रिकॉर्ड आदि सम्मान आपकी उपलब्धि हैं। आपको गायन का शौक है।

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