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दुश्मन-दोस्त

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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दुश्मन के पीछे खड़े दोस्त,
दोस्त के पीछे खड़ा दुश्मन
खौफनाक तो होते ही हैं,
ये ख़तरनाक भी होते हैं।

दुश्मन की ज़ुबान लेकर,
दोस्त,दुश्मन की पैरवी करे
बातों का खंजर छुपाए,
ये बड़े बेबाक़ भी होते हैं।

अनजान दोस्ती से अच्छा,
जाना हुआ दुश्मन बेहतर
कुछ मुखौटे के चेहरों के,
मंसूबे नापाक भी होते हैं।

हमराह,हमसाया नहीं कोई,
अपना खुद का साया भी
घुप्प अंधेरे से डरता है।
हमनवा मज़ाक भी होते हैं,
ये ख़तरनाक भी होते हैं॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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