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दुस्साहस का जवाब

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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‘कारगिल विजय दिवस’ विशेष…

यह भारतीय शौर्य और पराक्रम की गाथा है,
दुनिया ने देखा है, सबने सराहा है
दुनिया में खलबली मचाई है,
सटीक सबक सिखाया है
गौरव के इतिहास की अपूर्व गाथा है।

दुनिया सुनकर नहीं अघाती है,
यह परिपक्व कूटनीति का
सबसे सुखद परिणाम था,
वीर जवानों की शहादत का
यह विजयश्री हासिल करना,
मानों एक सात्विक धाम पर सफलता से पहुंचने का
एक सफ़ल और सुकून देने वाला परिणाम था।

यह पाकिस्तानी हिमाकत को,
एक सटीक जवाब था
शिकस्त देकर पाकिस्तान का,
खत्म किया गया ख्वाब था।

आओ हम-सब मिलकर यहाँ एक,
उन्नत सोच संग देशप्रेम की नींव रखें
हृदय तल से देश को गौरवान्वित करने के लिए,
हर वक्त देश की रक्षा करने में।
हर क्षण सतर्कता से आगे बढ़ते हुए,
क़दम-ताल बढ़ाते हुए चलते रहें॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।