डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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‘विश्व धर्म (१६ जनवरी)दिवस’ विशेष….
आज विश्व में अनेक धर्मों का प्रादुर्भाव हो रहा है और सब अपने-अपने द्वारा स्थापित सिद्धांतों पर जोर देते हैं। इससे समाज में दुर्भाव पैदा होता है। सब पंथ अपने पंथ को बढ़ाने के लिए कार्यरत हैं, जबकि हिन्दू धर्म और जैन धर्म प्राचीनतम हैं। जैन धर्म में अहिंसा,सत्य अचौर्य,ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह पर बहुत बल दिया गया है।
‘विश्व धर्म दिवस’ हर जनवरी के तीसरे रविवार को मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य सभी धर्मों के बीच समझ और शांति को बढ़ावा देना है,लोगों को अन्य धर्मों और उनके अनुयायियों के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित करना है।
यह शुरू में बहाई विश्वास के अनुयायियों द्वारा शुरू किया गया था। यह एक विश्वास है जिसे १८६३ में इराक में स्थापित किया गया था। बहुओं का मानना है कि सभी धर्मों में सामान्य विशेषताएं हैं और सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि एक ईश्वर है,जिसे सभी धर्मों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इस दर्शन को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका के बहाई की राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा ने १९४९ में विश्व धर्म दिवस की संस्था की घोषणा की। इस तरह का पहला दिन १९५० में मनाया गया।
यह दिन दुनिया के सभी धर्मों के सदस्यों को यह बताने के लिए कहता है कि धर्म का एक सामान्य आध्यात्मिक लक्ष्य है, और इसका उद्देश्य धार्मिक लोगों की एकता को बढ़ावा देना और ऐतिहासिक मतभेदों को दूर करना है। सदियों से, विभिन्न धर्मों और धर्मों ने अपने धर्म के प्रभुत्व के लिए वैचारिक और शारीरिक दोनों रूप से लड़ाई लड़ी है। विश्व धर्म दिवस इसे दूर करने और विश्वासों के बीच एक शांतिपूर्ण समझ प्राप्त करने का प्रयास करता है।
यह दिवस शांति और सद्भाव को बढ़ावा देकर इन मतभेदों को जीतने की कोशिश करता है,और उन लाभों को देखता है जो हमारी दुनिया में सभी धर्मों ने किए हैं। यह विश्वास बताता है कि एक ईश्वर है।
धर्म के साथ उनमें वर्णित सिद्धांतों का परिपालन अतिआवश्यक है। वर्तमान में अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकन्तवाद की अत्यंत आश्यकता है। जब तक हम दूसरों के भावों को आदर नहीं देंगे, तब तक विवाद ख़तम नहीं होंगे और शांति स्थापित नहीं होगी। विश्व में अहिंसा को पुनर्स्थापित करने की जरुरत है।
परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।