कुल पृष्ठ दर्शन : 237

You are currently viewing जीवन के रंग

जीवन के रंग

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
*******************************************

पंच तत्व से बना है यह,मनुष्य का पूर्ण अंग,
मानव के अन्दर छिपा रहता है जीवन का रंग।

अजीब पहेली है मन भी,यह डूबा रहता है माया में,
मोह भंग तब हो जाता है,जब आग लगती है काया में।

काम,क्रोध,मोह,माया,लोभ,ये जीवन का रंग है,
धर्म-कर्म,सेवा,सत्संग छोड़कर मन में हुड़दंग है।

मानव जीवन में संतुष्टि,कभी भी नहीं मिलती है,
मनुष्य की जिंदगी,पंच तत्व के इशारे चलती है।

इशारे पर नचाता है,आग,पानी,मिट्टी,हवा,जल,
ये पंच तत्व जो बोलेगा मानव को,उधर दिया चल।

जो मनुष्य मन पर नियंत्रण रखा,वही एक रंग में रहा,
वह उसी को अपनाया,जो माता-पिता-श्री गुरु कहा।

जीवन के रंग बहुत,अनमोल है यह जीवन-कहानी,
कोई आदेश पर जीवन जीता,कई करते मनमानी।

क्यों बदलता है जीवन का रंग,पूछती है ‘देवन्ती’ क्यों बदला,
अग्नि के द्वार जाते ही विलीन होगा पंच तत्व का पुतला॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

Leave a Reply