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धागा प्रेम का है यह बहना

हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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रक्षाबंधन विशेष….

धागा प्रेम का है यह बहना! राखी जिसको कहते हैं,
सृष्टि सृष्टा विष्णु स्वयं भी, इसके बन्धन में रहते हैं।

भाई-बहन के पवित्र प्रेम का, सदियों से सम्वाहक रहा,
भारत वर्ष का बच्चा-बच्चा, इसका हमेशा चाहक रहा।

कब आए यह पर्व धरा पर, देव भी प्रतीक्षा में रहते हैं,
करती है दुआ खैर की बहना, तो सुरक्षा में भाई रहते हैं।

उदगार निराला भाव निराला, वरना धागे में क्या रखा है ?
विश्वास-प्रेम की नीव में जहां, रिश्तों का पत्थर रखा है।

ढहती नहीं है ईमारत कभी भी, भाई- बहन के रिश्तों की।
दुआ दे बहना और भाई सहारा,क्या जरूरत है फरिश्तों की?

बिखर जाए चाहे जमाना बहना!, पर तुम यूँ ही आती रहना,
आन पड़े कोई मुसीबत तो बहना! भैया से जरूर कह देना।

राखी नहीं है महज इक धागा, यह प्रेम का प्यारा बन्धन है,
रक्षा-बंधन के इस पावन पर्व का, दिल से आज अभिनंदन है॥

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