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बांधे जैसे कोई फरिश्ता

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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रक्षाबंधन विशेष….

पूनम का चाँद खिले जब सावन,
उत्सव है यह अति पावन
भाई और बहन का अनूठा रिश्ता,
बांधे एक-दूजे से जैसे कोई फरिश्ता।

बरखा रानी घिर घिर आए,
कभी रिमझिम तो कभी झड़ी लगाए
रक्षाबंधन में भाई-बहन को मिलाए,
अटूट प्यार का बंधन ये निभाए।

रोली, चावल, चंदन, डोरी,
भाई के माथे तिलक लगाए बहना
कलाई में उसके राखी बांधकर,
प्रेम से करे आरती उसकी
मुँह मीठा कर करे प्रार्थना,
भाई के दीर्घायु जीवन की।

ये स्नेह की डोर,
न पड़े कभी कमजोर
पूर्ण हो दोनों की मनोकामना,
बहन की स्वीकार हो भाई के लिए हर प्रार्थना।
और भाई करे बहन की,
आजीवन रक्षा की उपासना॥

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।

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