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धीरे-धीरे ही सही..

शिवम द्विवेदी ‘शिवाय’ 
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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धीरे-धीरे ही सही पर चलते तो रहिये,
करके कुछ पाना अगर हो,कुछ न कुछ करते तो रहिये।
हार न मनो तुम गम से,करो सामना दुश्मनों से,
खुश अगर हैं ज़िंदगी से,कम-से-कम हँसते तो रहिये।
धीरे-धीरे ही सही पर चलते तो रहिये…

दुनियादारी के समर में खूब दौड़ा कीजिये,
सिर अगर घूमे कभी तो जाम थोड़ा पीजिये।
जब लगे मुश्क़िल बड़ी है,हौंसले संग जूझते तो रहिये,
धीरे-धीरे ही सही पर चलते तो रहिये…

हर वक्त बेवज़ह खुद से कुछ न कुछ यूँ पूछते चलिए,
क्या था फर्ज आपका,क्या आपने अदा किया।
क्या रही वो नन्हीं कमी,ढूंढते तो रहिये,
धीरे-धीरे ही सही,कम से कम बढ़ते तो रहिये।
धीरे-धीरे ही सही पर चलते तो रहिये…

क्या है आपकी गुजारिशें,क्या आपका जूनून है,
मैं तो कहता हूँ देश पर वार दो वतनपरस्त ये जो खून है।
बहुत हैं आप पर कर्ज इस देश के,
धीरे-धीरे ही सही उतारते तो रहिये।
धीरे-धीरे ही सही पर चलते तो रहिये॥

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