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धूप और छाँव

गरिमा पंत 
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)

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धूप और छाँव की लुका-छिपी,
कितनी अच्छी लगती है।
धूप में जब थक जाओ,
छाँव शीतलता देती है।
धूप जीवन का कठोर समय है,
छाँव ढलती शाम है।
हे मानव ! तुम धूप से क्यों घबराते हो,
कठिन परिश्रम करके तुम
अपना भाग्य बनाते हो।
छाँव में जब तुम सबके साथ,
अपना समय बिताते हो
कितना अच्छा लगता है।
धूप-छाँव का ये समय,
जीवन का सच है…
धूप-छाँव का खेल॥

परिचय-गरिमा पंत की जन्म तारीख-२६ अप्रैल १९७४ और जन्म स्थान देवरिया है। वर्तमान में लखनऊ में ही स्थाई निवास है। हिंदी-अंग्रेजी भाषा जानने वाली गरिमा पंत का संबंध उत्तर प्रदेश राज्य से है। शिक्षा-एम.बी.ए.और कार्यक्षेत्र-नौकरी(अध्यापिका)है। सामाजिक गतिविधि में सक्रिय गरिमा पंत की कई रचनाएँ समाचार पत्रों में छपी हैं। २००९ में किताब ‘स्वाति की बूंदें’ का प्रकाशन हुआ है। ब्लाग पर भी सक्रिय हैं।

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