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जन्नत से हुई मन्नत पूरी…

डॉ.रीता जैन’रीता’
इंदौर(मध्यप्रदेश)

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प्रकृति के सौंदर्य के खजाने को जिसे कश्मीर कहते हैं,इस जन्नत को वहां जाकर निहारा तो मानो हमारी मन्नत पूरी हो गई। हमारी यह शुभ यात्रा १४ से २० अप्रैल(२०१९)सही मायने में सार्थक हो गई। प्रकृति का हर एक रंग यहां देखने को मिला। यह पूरी यात्रा ट्रेवल्स द्वारा तैयार की गई थी,जिसकी पूरी योजना कश्मीरी रहवासी श्री बैजा के माध्यम से की गई थी। कश्मीर पहुंचते ही सबसे पहले हमारे मार्गदर्शक कश्मीरवासी श्री जहांगीर से मुलाकात हुई।
सबसे विशेष बात यह हुई कि चूंकि मैं भी शिक्षा विभाग से जुड़ी हुई हूँ और किस्मत से जहांगीर जी भी पत्रकारिता और छायाचित्र के शौकीन होकर मार्गदर्शक के रूप में मिले थे। फिर क्या था,वो हमारे परिवार को जन्नत की सैर कराने निकल पड़े। सबसे पहले दिन वो कश्मीर की गुलजार वादियों मे ले गए। एशिया में दूसरे क्रम पर सबसे बड़े ट्यूलिप उद्यान ने हमारा मन मोह लिया। ट्यूलिप के हर रंग के फूल ने मानो पूरी धरती को ढंक लिया हो। कितनी भी दूर तक निहारो,फूल और इसकी खुशबू मानो हमें आगे ही नहीं बढ़ने दे रही थी। इसके बाद तो फिर परी महल,निशात उद्यान, चश्मेशाही उद्यान गए,जहाँ निर्बाध रूप से कंचन-सा पानी बहता रहता है,उस पानी को पीना अमृत समान लगा।
इसके बाद दूसरे दिन हम पंहुचे बादामवारी के विशाल बगीचे में,जिसमें लाखों की संख्या में बादाम के पेड़ देखने का अदभुत अनुभव था। मैंने अपने माउथ ऑर्गन बजाने का शौक भी इन वादियों में पूरा किया। फिर दूधपत्री स्थल के अवलोकन के लिए निकल पड़े। ये एक ऐसी जगह है,जहां हमेशा दूध समान द्रव बहता रहता है,और उसके आसपास चारों और अदभुत नजारा। सब तरफ बर्फ ही बर्फ की चादर बिछी हुई और आसपास लंबे-लंबे चिनार के पेड़…वाह दिल खुश हो गया।
तीसरे दिन चल पड़े गुलमर्ग की वादियों मे खोने,पर रास्ते में हमारे विशेषज्ञ जहांगीर जी ने बताया कि यहां ‘विल्लो’ नामक पेड़ होते हैं,जिसकी लकड़ी से क्रिकेट कॆ बल्ले बनाए जाते हैं,और पूरे विश्व में यहाँ से बल्ले जाते हैं। विराट और धोनी कॆ आग्रह पर उन्हें भी ये बल्ले भेजे जाते हैं। इतना सुनना था कि फिर मन माना नहीं,और फिर पहुँच गए हम क्रिकेट कॆ बल्ले की फैक्ट्री में…यहाँ भी बल्ले को बनते देखना अपने-आपमें एक नया अनुभव था। इतना सब देखकर रहा नहीं गया तो एक बढ़िया-सा बल्ला खरीद ही लिया,क्योंकि यही तो वो यादें हैं जो हमेशा साथ रहेंगी। फिर आगे बढ़ चले…अरे वाह,कुछ दूर जाते ही केसर के सुंदर महकते हुए फूल और बड़े-बड़े बागानों ने हमे आकर्षित किया,और केसर के फूल देखने को मन मचल पड़ा। हम आखिर बागानों के बीच पहुँच ही गए। कश्मीर केसर के लिए प्रसिद्ध है और इसकी खुशबू इसकी फिजाओं को और भी खूबसूरत बनाती है। केसर के फूलों की खुशबू हमेशा ज़हन में रहे,इसलिए फूलों के साथ एक तस्वीर तो बनती थी,तो एक अच्छी-सी तस्वीर जहांगीर जी ने ले ही ली। फिर हमारी कार ने गति पकड़ी और अब हम गुलमर्ग के नजदीक पहुँचने ही वाले थे कि,लगा मानो धरती के चारों ओर बर्फ की सफेद चादर हमारे ही इंतजार में बिछी हो। देवदार तथा चीड़ के पेड़ों से गिरते बर्फ के टुकड़े सच में यहाँ आने वालों को नई दुनिया का आभास देते हैं। यह है गर्मियों मे जम्मू-कश्मीर के उन पर्यटन स्थलों का नजारा,जिन्हें शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता और यह बानगी जब हमने खुद निहारी तो हम कह उठे…”अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है,यहीं है,यहीं है…।” अब जबकि,वादी बर्फ की चादर ओढ़ चुकी है, चिनार के पेड़ सुर्ख हो चुके हैं,पहाड़ों पर शीन की चमक से लगता है जैसे चाँदी का वर्क डाल दिया गया हो। वादी के इसी नजारे को तो ‘जन्नत’ कहते हैं,और बहुत आनंद आ रहा था इस जन्नत की सैर करने का। यदि आपने ना देखा हो तो आप एक बार जरूर कश्मीर होकर आएं तो आपको भी पता चल जाएगा कि रियासत को क्यों ‘स्वर्ग’ कहा जाता है।
हमेशा कश्मीर के बारे में पढ़ा-सुना था और एक सपना था कि जब भी अवसर मिलेगा तो कश्मीर जरूर जाना है। कभी समय की व्यस्तता रही और कभी कश्मीर के हालात सुनकर जाना नहीं हो पाया। और सच में अब देखने पर अपनी आँखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा है,कि वाकई जितना सुना और पढ़ा था उससे कहीं ज्यादा यहां की खूबसूरती बयां कर रही है कि कश्मीर किसी जन्नत से कम नहीं है। हमने गुलमर्ग में प्रवेश किया तो टीआरसी में कई सालों से काम कर रहे सदस्यों ने बताया कि हमने यहाँ पर कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे हैं। उन्होंने कहा कि हमने वह दौर भी देखा है जब मुंबई के लोग यहाँ पर सिनेमा की शूटिंग के लिए आते थे लेकिन बंदूक की आवाज ने उनको इधर आने से रोक दिया,पर अब समय बदल रहा है। स्थितियां सामान्य हो चली है,हर कश्मीरी शांति,चैन और अमन चाहता है। कश्मीर अपनी खूबूसरत फिजाओं में पुनः सबको आकर्षित कर रहा है,और आमंत्रित कर रहा है इन खूबसूरत फिजाओं का आनंद लेने को हालिया प्रदर्शित फ़िल्म ‘उरी’ की शूटिंग भी इन्हीं हसीन वादियों में की गई।
कश्मीर की वादियों में बर्फबारी और रोमांच का आंनद इस वक्त देखने लायक था। कश्मीर के हालात कैसे भी रहे हों,पर आज वहां पूरी तरह शांति है,और प्रत्येक कश्मीरी दिल से यही चाहता है कि यह शांति और खूबसूरती दोनों बनी रहे।
कश्मीर को जन्नत यूँ ही नहीं कहते,इसकी प्राकृतिक खूबसूरती किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है। स्नोफॉल के बाद जब कश्मीर की पूरी वादी सफेद बर्फ से ढंक जाती है तो यह मनोरम दृश्य देखने लायक होता है। बर्फ से ढंकी पहाड़ियाँ और वहां का ठंडा मौसम कश्मीर को सचमुच जन्नत बना देता है।हमारे यहां की गर्मी और ऐसे समय में कश्मीर के ऊंचे पहाड़ी इलाकों में चारों तरफ सफेद बर्फ की मोटी चादरनुमा बिछी हुई बर्फ ने हमें ठंडक का अहसास दिलाया। बर्फबारी के कारण कई गुना बढ़ी कश्मीर की खूबसूरती में मानो हम खो से गए। गुलमर्ग कश्मीर संभाग के बारामूला जिले में स्थित है। यहां करीब ६ इंच तक बर्फ जमा हो चुकी है और बर्फबारी की वजह से कश्मीर का तापमान ऋणात्मक ८-१० डिग्री तक चला जाता है और हाड़ कंपाने वाली ठंड महसूस होती है,लेकिन इस मौसम का भी अपना ही मजा है। बर्फीली चादर पर हमने ‘स्कीइंग’ का भी बहुत आनंद लिया,और वाह-वाह कि इसी दौरान बर्फबारी भी शुरू हो गई। स्नोफ़ाल से स्कीइंग का मजा दुगुना हो गया। अगर आप रोमांच पसंद करते हैं तो कश्मीर में बर्फबारी के दौरान आप कई रोमांचक गतिविधियों का मजा भी ले सकते हैं। बर्फ के बीच स्कीइंग करना चाहते हैं तो गुलमर्ग आपके लिए बढ़िया विकल्प है और गुलमर्ग का स्कीइंग स्थल बेहद प्रसिद्ध भी है। गुलमर्ग और सोनमर्ग दोनों प्रसिद्ध स्कीइंग स्थान हैं। यहां स्कीइंग के साथ-साथ स्नो बोर्डिंग का मजा भी हमने ले ही लिया। कश्मीरी लोग दिल के बड़े साफ, सरल और मिलनसार होते हैं। यहाँ m गुलमर्ग में फर्स्ट फेज पर पहुँचने के लिए हम विश्व की सबसे ऊंची केबल कार राइड से वहां पहुँचे। बर्फ से ढंकॆ सफेद कश्मीर को आसमान से देखने का अहसास हुआ जैसे…यह अनुभव जीवन में एक बार का अनुभव है। विश्व की इस सबसे बड़ी केबल कार में बैठकर अपनी आँखों से कश्मीर की विहंगम खूबसूरती देखने को मिली।
बर्फबारी के कारण कई गुना बढ़ी कश्मीर की खूबसूरती कॆ बीच कई ढाबे जिनसे विविध प्रकार के व्यंजन की खुशबू ने हमें वहां आने पर मजबूर किया। बर्फ की चादरों के मध्य बर्फ में धंसती कुर्सियों में बैठकर कश्मीरी पुलाव खाने का मजा ही कुछ और था। पहाड़ों,बर्फ और चारों तरफ गुलजार हरियाली के मोह को छोड़कर अब वापसी करनी थी। वापसी में कड़ाके की ठंड में जहांगीर जी एक आउटलेट फैक्ट्री भी ले गए,जहाँ वास्तविक चमड़े के जैकेट की खरीदी भी की,ताकि कश्मीर की ठंडी में भी गर्मी का अहसास हो। यहीं हमारे लिए विशेष काश्मीर ‘कहवा’ चाय बनाई गई जिसका जायका भी लिया। यह बहुत स्वादिष्ट थी । बताया गया कि यह बहुत फायदा भी करती है। ‘कहवा’ का स्वाद बसाए हम पुनः अपने गंतव्य स्थल श्रीनगर लौटे। और फिर चौथे दिन हम वहां पहुचने वाले थे,जिसे ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ भी कहा जाता है, याने एक और जन्नत पहलगाम। जिला अनंतनाग में स्थित पहलगाम श्रीनगर से लगभग ६० किलोमीटर की दूरी और समुद्र तल से २१३० मीटर ऊँचा है।
पहलगाम को बॉलीवुड के कारण पहचान मिली है,क्योंकि इसके आसपास स्थित अरू वैली तथा बेताव वैली में कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है,और अमरनाथ की यात्रा का परम्परागत रास्ता भी यहीं से है। लिद्दर नदी के दोनों ओर बसे पहलगाम की सुंदरता की अपनी मिसाल है। यहाँ पर घुड़सवारी का आनंद लेते हुए जब सबसे ऊपर पहुँचे तो लगा वाकई स्विट्ज़रलैंड आ गए हों। चारों तरफ हरियाली से परिपूर्ण मैदान और किनारों पर हरे-भरे वृक्ष तथा उसके आधार पर बिछी हुई बर्फ ही बर्फ…वाह क्या खूबसूरत नजारा,और इन सबके बीच होटल जिसमें नूडल्स की महक। मिनी स्विट्ज़रलैंड में बहुत ही स्वादिष्ट गर्मागर्म नूडल्स का भी मजा भी ले ही लिया। वाकई इस जन्नत की यात्रा को भुलाना मुश्किल है।

परिचय-डॉ.रीता जैन लेखन में उपनाम रीता लिखती हैं। ३१ जनवरी १९६६ को उज्जैन में जन्मीं हैं और वर्तमान में इंदौर में निवासरत हैं। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से संबंध रखने वाली डॉ. जैन की शिक्षा-एम.फिल.(लेज़र), पीएचडी(प्राणीशास्त्र-प्रबंधन) तथा एमबीए(मानव संसाधन विकास )है। आप कार्यक्षेत्र में प्राचार्य(निजी महाविद्यालय,इंदौर)हैं। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आप कई संगठनों से जुड़ीं हुई हैं। इनकी लेखन विधा-गीत एवं लेखन है। कई विज्ञान पत्र-पत्रिकाओं में आपके लेख प्रकाशित हुए हैं तो आकाशवाणी इंदौर से विज्ञान वार्ता, कविता एवं परिचर्चा प्रसारण सहित सामाजिक पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित हुई हैं। रीता जी को २००९ में शिक्षा के क्षेत्र में इंदौर नायिका अवार्ड सम्मान,खेल के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा २ सितारा प्रावीण्य प्रमाण-पत्र सहित टेबल टेनिस में राज्य तक विजेता प्रमाण-पत्र,निर्मला पाठक अवार्ड और युगल गरबा प्रतियोगिता में प्रथम आने पर कलेक्टर द्वारा सम्मानित किया गया है। आप ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-जन्तु जीवाश्म पर शोध कार्य है,जिससे प्रभावित होकर लंदन के जीवाश्म विज्ञानी डॉ.एंड्रू स्मिथ ने निवास पर आकर काम को बहुत सराहा है। निवास पर ही जीवाश्म संग्रहालय भी बनाया है,जिसे देखने-अध्ययन करने सभी विद्यार्थी(निःशुल्क) आते हैं। लेखनी का उद्देश्य-एक ऐसा माध्यम है जिससे हम अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं,और प्रेरित भी होते हैं। इनके लिए प्रेरणा पुंज डॉ.पूर्णिमा मंडलोई हैं। विशेषज्ञता-विज्ञान एवं प्रबंधन में है,तो रुचि-लेखन,संगीत,पढ़ना तथा भ्रमण में है।

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