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नंद घर बजी शहनाई

मनोरमा जोशी ‘मनु’ 
इंदौर(मध्यप्रदेश) 
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जन्माष्टमी विशेष………..

अनोखी सुनी सखी एक बात,
हुआ अचरज रातों-रात
विपत वसुदेव उठाई,
नंद घर बटत बधाई।
कृष्ण पक्ष की आठों,
भादो मास है
उमड़-घुमड़ घन गरज,
रहें आकाश है।
पाये वसुदेव देवकी त्रास है,
लाज रखेगें प्रभुजी
मन में यह विश्वास है।
आई शुभ घड़ी आए,
चतुर्भुज रूप धरे यदुराय
प्रगट भये कन्हाई नंद,
घर बजी शहनाई।
नत मस्तक वसुदेवजी,
नमन करें
दीनानाथ दयालु दुष्ट को,
दमन करें।
प्रभु हँस बोले तात शौक,
सब समन करें
सब संशय तजि तुरत ही,
गोकुल गमन करें।
नंद घर देहुँ मोय पहुँचाय,
तुम्हारी मन चाही हो जाय
रहे कीरति जग छाई,
नंद घर बटत बधाई।
बंधन अपने-आप,
टूट गये सारे हैं
सोय गये पहरेदार,
खुले सब द्वारे है।
गोकुल चल दिये शीश,
सुत धारे है
यमुना ने बड़ प्रभु के,
चरण पखारे हैं।
नंद भवन में आय दियो,
सुत यशोदा ढिंग पौढ़ाय
सुता गोद उठाई नंद घर,
बटत बधाई।
भोर भये हुआ चहुँओर,
शोर सब बृजवासी भाव
विभोर है,
प्रगट भये ब्रज में चितचोर।
अदभुत लीला रचाई,
नंद घर बजी शहनाई॥

परिचय–श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित विजय नगर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। एक काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है।

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