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नन्हें बच्चे

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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नन्हें बच्चे आए घर,
मिल-जुलकर मनायें उत्सव
उम्र हमारी लग जाये,
हो जाए अजर-अमर।

पढ़ें-लिखें वे मन लगाकर,
खेले क्रिकेट,कबड्डी और शतरंज
माता-पिता की सेवा करें,
रहें परिवार के संग।

सच्चाई पे चलते रहें,
कभी न रुके ये कदम
बुराई से लड़ते रहें,
जीत जाएंगे सारी जंग।

मंजिल तो खुद आएगी,
करते रहे वे अच्छे कर्म
नन्हें बच्चे आए घर,
मिल-जुलकर मनायें उत्सव॥

परिचय-विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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