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नमन हे सरस्वती वीणादायिनी

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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वसंत पंचमी विशेष…

हे माँ सरस्वती वीणावादिनी,
हे देवी धवल हे हंस वाहिनी
हे सुकांति हे शांत मनोहरा,
आप हैं श्वेत कमलआसिनी।

ना स्वर था, ना थी राग-रागिनी,
शांत थी धरणी हे माता रानी
ब्रह्मांड मौन था शब्द स्वरहीन,
दिवस बसंत पंचमी पद्मासिनी।

ब्रम्हा कमंडल से आयी माँ रानी,
पीले पुष्पों से भरी धरा सुहानी
थिरक उठा ब्रम्हांड औ विश्व,
छिडी़ सात सुरों की विश्वरागिनी।

माघ शुक्ल पंचमी शुभ कल्याणी,
बसंत पंचमी त्योहार शारदे रानी
ऋतु मनभावन है बंसती रूप,
विभिन्न रंगों से सजी धरा सुहानी।

करबद्ध माँगे माँ ज्ञान आलोक,
सप्त सुरों राग स्तुति महारानी
शिक्षा ज्ञान भक्ति हे माँ शारदे,
कृपा करो शारदे हे पद्मासिनी।

तम पुंज टारो हे देवी तारिणी,
चारों वेद की हे देवी प्रवाहिनी
ज्ञान आलोक से भरो माते,
सदा नमन करूँ कृपादायिनी।

भावों में जगो हे कृतिदायिनी,
जिह्वा पे बसो हे स्वर रागिनी।
विश्व में हो सुविद्या सौहार्द प्रेम,
वंदना करूँ हे देवी कृपादायिनी॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

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