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हम सब हिन्दुस्तानी

रत्ना बापुली
लखनऊ (उत्तरप्रदेश)
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गणतंत्र दिवस : देश और युवा सोच…

शर्मा छोड़ो, वर्मा छोड़ो, छोड़ो कहना अडवानी,
एक जाति है, एक धर्म है, वह है हिन्दुस्तानी।
कोई मजहब कोई धर्म से न हो खींचा-तानी,
मिलकर रहें प्रेम से हम सब, यही हमारी सानी।

तरह-तरह के रंगों से मिलकर बना अपना तिरंगा,
सत्य-अहिंसा का पाठ पढा़ता अपना यही तिरंगा।
दूर-दूर तक प्रेम की ज्योति जलाती अपनी बानी,
हम सब हिन्दुस्तानी, हम सब हिन्दुस्तानी…॥

सीख जो हमको मिली, विवेकानन्द की बातों से,
स्वतन्त्रता का मर्म है जाना, सुभाष के ही घातों से।
उन्हीं आदर्शों पर चलकर हमको करना कारस्तानी,
हम सब हिन्दुस्तानी, हम सब हिन्दुस्तानी…॥

हमारे ही हाथों में है, अब भारत की किस्मत,
धरती से आसमान तक दिखला दो अपनी ताकत।
व्यर्थ नहीं गंवाना अपनी यह अनमोल जवानी,
हम सब हिन्दुस्तानी, हम सब हिन्दुस्तानी…॥

भेद-भाव व जाति-भेद को जड़ से दूर भगाएँ,
मन में मानव प्रेम का हम एक दीप जलाएँ।
अपने हिन्दुस्तान की महिमा जग में है फैलानी,
हम सब हिन्दुस्तानी, हम सब हिन्दुस्तानी…॥

कोई छोटा न कोई बड़ा, भारत के इस समाज में,
आम्बेडकर ने जो हमको दिया, वही इस गणराज्य में।
गणतन्त्र दिवस की महत्ता, हमने अब है जानी,
हम सब हिन्दुस्तानी, हम सब हिन्दुस्तानी…॥

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