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नम्रता

मनोरमा जोशी ‘मनु’ 
इंदौर(मध्यप्रदेश) 
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अहम भावना शून्यता,
है नम्रता प्रतीक…
कठिन काम भी नम्रता,
कर देती है ठीक।
निराभिमान और नम्रता,
देती पोषक तत्व…
कायरता है ये नहीं,
ये प्रतीक पुरूषत्व।
परदे में यदि नम्रता,
के पीछे है स्वार्थ…
वहां नम्रता कपट को,
ही करती चरितार्थ।
संयम व्रत साधन नियम,
सतत प्रयत्न कलाप…
किन्तु नम्रता,
आती अपने आप।
जहां प्रयत्न हुआ कहीं,
तो बिगड़ा सब अर्थ..
परिवर्तन हो दम्भ में,
कर देगा सब व्यर्थ।
संयम व्रत साधन नियम,
भक्ति योग तप जाप…
सिद्ध हुआ तो नम्रता,
आती अपने आप॥

परिचय–श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित विजय नगर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। एक काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है।

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