संदीप धीमान
चमोली (उत्तराखंड)
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नाथ से सीखा भोलापन
तांडव सीख न पाए हम,
गीता से कर्म मात्र सीखा
सुदर्शन देख न पाए हम।
दया भाव धर्म से सीखा
माता से सीखी ममता,
महाकाली का रक्त भरा
खप्पर देख न पाए हम।
मर्यादा श्रीराम की देखी
पुरुषोत्तम देख न पाए हम,
ताना था जो बाण समुद्र पे
उस हठ को देख न पाए हम।
शूरवीर है वंशज तेरे क्यों ?
दया में ठोकर खाए हम,
ऋषि-मुनियों का देश ही
मात्र अब तलक कहलाए हम ?
धर्मग्रंथ पूजा सबने क्यों ?
शस्त्र पूज न पाए हम ?
बहने दो अब धार रक्त भी,
चलो, तांडव भी सिखाएं हम॥