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नारी दुर्लभ वरदान

डाॅ.अचलेश्वर कुमार शुक्ल ‘प्रसून’ 
शाहजहाँपुर(उत्तरप्रदेश)
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नारी मनुज को सृष्टि का,अति दुर्लभ वरदान।
इसकी तुलना में नहीं,पृथ्वी पर प्रतिमान॥

सत्य यही संसार का,नारी बड़ी महान।
नारी ही देती सदा,मानव को निर्माण॥

नर नारी से सीखता,जाने सकल जहान।
नारी से ही बन सके,सारे पुरुष महान॥

नारी के तप त्याग से,बने देवता योग।
नारी तू नारायणी,सच कहते हैं लोग॥

पुरुष देखता नारी से,जग का नवल विहान।
नारी जगत की सर्जना,का पहला सोपान॥

नारी का इस देश में,सदा रहा बहुमान।
नारी हर युग में रही,पुरुष जाति का मान॥

नारी की पूजा जहाँ,रहते देव महान।
नारी का इस देश ने,गाया यश जय गान॥

नारी शक्ति स्वरूप है,जानि करो उपयोग।
नारी के संसर्ग से,मिटते-बनते लोग॥

नर नारी-बिन-काम है,बिन नर नारि-विकार।
दोनों के संयोग से,बनता जगत विचार॥

नारी शोभा पुरुष की,नर-आभूषण नारी।
जगत रम्य उद्यान की, सुन्दरता नर नारी॥

जब मिल जाये भुवन में,नर नारी का योग।
जगती तल का परम सुख,नर नारी संयोग॥

पति के हित की साधिका,पति सेवा मतिलीन।
जग मंगल की कामना,नारी नित्य नवीन॥

नारी से मिलता रहा,नर को जीवन प्रान।
नारी तू नारायणी,सच में बड़ी महान॥

परिचय-डाॅ.अचलेश्वर कुमार शुक्ल का साहित्यिक उपनाम-प्रसून है। जन्मतिथि ५ जुलाई १९७५ तथा जन्म स्थान-ककरौआ जप्ती,शाहजहाँपुर (उ.प्र.)है। वर्तमान में यहीं निवासरत हैं। उत्तर प्रदेश वासी डॉ.शुक्ल की शिक्षा एम.ए.(संस्कृत,हिन्दी)सहित पी.एच-डी.(हिन्दी)है। आपका कार्यक्षेत्र प्राध्यापक (महाविद्यालय) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समय-समय पर विविध कार्यक्रमों के माध्यम से सामाजिक उन्नयन में सक्रिय रहते हैं। इनकी लेखन विधा-गद्य एवं पद्य में समान अभिनिवेश है। विविध पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन होने के साथ ही कई संस्थाओं से सम्मान प्राप्त हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सद्साहित्य का सृजन करना है।

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