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बड़ा प्यारा-न्यारा था विद्यार्थी जीवन

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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मेरा विद्यार्थी जीवन स्पर्धा विशेष ……..

बन्द स्मृति पट खुलते जब-जब,
पलकों में स्कूल ड्रेस लहराती है
आते बरसात मोगरे सँग-सँग,
नई कागज की महक छा जाती है़।

अब लगते सपनीले सब-कुछ,
कोमल निर्मल शीतल छीन पल
विद्यार्थी जीवन बड़ा प्यारा-न्यारा था,
पता नहीं थे तब जीवन के छल
बेफिक्र फूल खिले तब खुशियों के,
जवाबदारियों-कर्तव्यों के काँटें हैं।

जीवन झँझट से दूर थी जिंदगी,
समय पे जगना समय से सोना
बस खेल-कूद और धूम धड़ाके,
समय-समय पर हँसना रोना
माँ-पिता भाई बहनों के साथ हमें,
स्कूली दोस्त जान से ज्यादा भाते हैं।

स्कूल की वह गुलमोहर कतारें,
मैडम की गोल बड़ी-सी बिंदी
खेल सर जी की रौबदार आँखें,
पिल्लई मैडम की अटपटी हिंदी
कितना बड़ा सांस्कृतिक हॉल,
सभी फिर उसी दुनिया बुलाते हैं।

विद्यार्थी जीवन पड़े नींव जीने की,
जिसपे जीवन महल बनाते हैं
नही जिया जिसने यह जीवन,
जीवनभर जीवन तड़पाते हैं।
पुस्तकालय में अनगिन पुस्तक,
गुण ज्ञान कला हमारा बढ़ाते हैं॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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