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जिंदगी कुछ और नहीं…

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
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जिंदगी कुछ और नहीं
बस एक यादों का झरोखा है,
बस जब तक है जिंदगी
मिलने का यही एक मौका है।

क्यों करनी बुराई किसी की
अच्छाई को क्यों रोका है,
रह जाएगा प्यार अमर
जिंदगी बस एक धोखा है।

तुम भी नहीं, मैं भी नहीं
वक्त को किसने कब रोका है,
सफ़र है ये अंत का
बस जिंदगी ही एक मौका है।

कहीं जमीं में दफ़न है तो
कहीं चिता एक रस्म है,
ख़ामोश होती जिंदगी को
क्यों विवादों में झोंका है!

मुस्कुराहट यादों में बसी है
हकीकत नजरों का धोखा है,
वक्त ही कहां हकीकत को
यादें ही बस एक मौका है।

जिंदगी कुछ और नहीं,
बस यादों का झरोखा है…॥

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