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पसन्द था मुझे

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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हाँ! पसन्द था मुझे,
रिमझिम ‘बारिश’ में झूले पर बैठना
बारिश के बाद भीगते ‘पत्तों’ को,
लहलहाते देखना।

हाँ! पसन्द था मुझे,
‘बारिश’ के बाद गाँव की
कच्ची सड़कों पर,
भरे पानी में कागज की ‘नाव’ चलाना।

हाँ! पसन्द था मुझे,
‘बारिश’ के बाद ओटले पर बैठ
पिता से ‘आल्हा-ऊदल’
की कथा सुनना,
‘बारिश’ की रिमझिम साँझ में,
‘आले’ में ‘दीया’ लगाना।

हाँ! पसन्द था मुझे,
बारिश में धुआँ-धुँआ
अलाव में ‘भुट्टे’ सेंकना,
और…
‘बारिश’ में भाई के,
हाथों को थाम कर गिरती
हुई ‘बूंदों’ को देखना।

हाँ! पसंद था मुझे…
‘बारिश’ के शोर में
मौन रहकर,
‘माँ’ की कहानियाँ सुनना।
और
‘बारिश’ के बाद,
गाँव के ‘आम,पीपल’ पर
‘कोयल’ का मधुर तान छेड़ना।

हाँ! पसन्द था मुझे,
‘बारिश’ के पानी में छप-छप करना
हाँ! पसन्द था मुझे,
‘बारिश’ के बाद
मेरे गाँव का भीग जाना,
रात में कच्चे ‘खपरैल’ पर
पड़ती बूंदों के संगीत को सुनना।

हाँ! पसंद है आज भी मुझे,
यह बारिशें, गीली सड़कें और
यादों में मेरा ‘गाँव’,
हाँ! पसन्द है…॥

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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