कुल पृष्ठ दर्शन : 246

You are currently viewing पितृपक्ष वरदान

पितृपक्ष वरदान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
*******************************************

माता तेरी अरु पिता,सदा रहेंगे साथ।
भले रहें परलोक वे,तो भी सिर पर हाथ॥
तो भी सिर पर हाथ,सदा आशीष सजाएँ।
देंगे तेरा साथ,सँजोकर प्रखर दुआएँ॥
पितृपक्ष वरदान,पितर हर नेह बहाता।
सारे पुरखे दिव्य,जनक अरु सबकी माता॥

पूजा करना धर्म है,मिलता है वरदान।
पुरखों प्रति श्रद्धा रखो,होगा मंगलगान॥
होगा मंगलगान,पुण्य मिलना ही मिलना।
आशीषों से नित्य,अशुभ हिलना ही हिलना॥
पितृ पूजना उच्च,नहीं कुछ ऐसा दूजा।
पखवाड़े भर रोज़,करो पितरों की पूजा॥

रहते जो परधाम में,आते वे हर साल।
पुरखों के आशीष से,होता सदा कमाल॥
होता सदा कमाल,वंशजन सुख को पाते।
जो भी उनकी पीर,सभी वे दूर भगाते॥
करें न जो सम्मान,वंशधर ख़ुद दु:ख सहते।
पुरखों का नित नेह,भले परलोक में रहते॥

रोज़ाना आशीष है,पुरखे पूजो आज।
श्राद्ध करो,श्रद्धा रखो,पुरखे रक्खें लाज॥
पुरखे रक्खें लाज,शांति से दिन गुज़रेंगे।
दुख सब होंगे दूर,सकल दिन अब बहुरेंगे॥
पुरखे हैं यदि संग,कर्म से भरो खज़ाना।
पुरखे करके याद,विनत बन जा रोज़ाना॥

पितृ मानना है सुखद,पावन मन कर देय।
अंतर का मैला हटे,हासिल वर कर लेय॥
हासिल वर कर लेय,सुहावन जीवन होता।
पुरखों का आशीष,सदा ही सुख को बोता॥
मन बैठा ले ईश,सदा शुभ पितृ जानना।
बहुउपयोगी ख़ूब,सदा ही पितृ मानना॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

Leave a Reply