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पुरातन मूल्यों का हो अधिक प्रसार

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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नववर्ष विशेष…

फसल चक्र ऋतु परिवर्तन का,संकेत है हिन्दी नव वर्ष,
नवरात्री के जयकारों से होता,व्याप्त सबमें भक्ति हर्ष।
सूर्य चंद्रमा दिशा परिवर्तन और जुड़ी कृषकों की ख़ुशहाली-
विक्रमादित्य,भगवान झूलेलाल,से जुड़ा ऐतिहासिक स्पर्श॥

हिन्दी नववर्ष नव संवत्सर तो,नये मौसम का आगाज है,
देवी माँ और आर्यसमाज कृपा व मिला संस्कारों का साज़ है।
क्या जनवरी अंग्रेजी वर्ष में है,कोई भी ऐसा परिवर्तन-
नव संवत्सर तो ५७ वर्षों की,लिए अधिक आवाज़ है॥

जनवरी नववर्ष के साथ मनायें,अवश्य हिंदी नववर्ष भी,
बधाई दें सबको नव संवत्सर,की अवश्य और सहर्ष भी।
अपने पुरातन मूल्यों का हो,अधिक से अधिक प्रसार-
कभी भूलें नहीं सृष्टि निर्माण दिन,का महत्व और दर्श भी॥

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