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पैगाम आएगा…!

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)

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पैगाम आएगा जिस रोज़
मेरे चले जाने का,
होगी कुछ-कुछ
अलसाई-सी सुबह चारों ओर।

कहीं ईमेल,व्हाट्सएप और ट्वीटर
तो कहीं ट्रिंग-ट्रिंग बजा-बजा,
पहुँच रहा होगा
मेरे न रहने का संदेश।

तनी चादर के
किसी छोर से,
आहिस्ता से
अँगड़ाई भरे हाथों से,
रिसीव होंगे फोन कॉल।

उड़ जाएगी नींद
मेरे उन सभी अपनों की,
भावुक हृदय
शिथिल हाथों से,
सरक जाएगा हौले से फोन
सुन खबर मेरे अचानक…
यूँ चले जाने की बात।

कौंध उठेंगी सभी यादें
उनके ज़हन में,
द्रवित हो जाएँगे चक्षु
रुँध उठेगा गला भी उनका,
मेरे बिछोह में…।

शायद !
कुछ निकले हों सैर पर
थम जाएँगे कदम उनके भी,
तब ढूँढेगी नज़र उनकी
दो पल बैठने को ठिकाना,
पलभर को शायद
हो जाएँ स्तब्ध वे।

होंगे कुछ ऐसे भी,
जो बढ़ा रहे होंगे
कदम अपने गंतव्य को,
स्थिर विचारों ने थाम
लिये होंगे उनके भी पग।

ठेस होगी बहुत गहरी
ये उनको,
बनकर रही थी
जिनके लिए अजीत,
कैसे सह पाएँगे गम
मेरी रुख़सती का..!!

परिचय–पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैl जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैl श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी मुंबई के ऐरोली में हैl महाराष्ट्र राज्य के शहर मुंबई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड.,एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है,और पी.एच-डी. की शोधार्थी हैंI आपका कार्यक्षेत्र मुंबई स्थित निजी महाविद्यालय हैl रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा आदिवासियों का आन्दोलन,किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंl हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैंl आपकी प्रमुख कविताएं-`आज कुछ अजीब महसूस…!`,`दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!`और `उड़ जाएगी चिड़िया`आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला हैl यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा `श्रेष्ठ शिक्षिका` के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस पुरस्कार दिया गया हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों,विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना हैl

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