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प्यार का एहसास

गोपाल चन्द्र मुखर्जी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष….

जोड़ी,प्यार और सम्पर्क को-
आसान नहीं है समझ पाना,
सिर्फ माया के साथ माया-
जैसे धूप और छाया
धूप है तो छाया भी-
धूप नहीं तो छाया कहीं भी नहीं!
बारिश की फुहार,हवा के साथ-
जैसे साथी पकड़े हुए हाथ।
दोस्ती हो तो हो ऐसा ही-
जो जीवन मे लाएंगे खुशियों की लहरें,
देखो न दोनों आँखों के कारनामे,
एक की तकलीफ दूसरी सह नहीं पाते!
पति-पत्नी का रिश्ता-
खट-पट,नट-खट फिर भी अटूट आस्था!
सम्पर्क भी हो जैसे सुई और धागा-
जिसका काम ही है सिर्फ जोड़ते चलना।
माया ही माया,सन्तान प्रेम का-
सन्तान से माँ कभी भी नहीं होती जुदा,
भूखी सन्तान की भूख-प्यास मिटाने-
सही समय पर दौड़ती आती माँ ही!
देखो न देशप्रेमियों को,त्याग उनका-
देश व भाषा के लिए कुर्बानी देते हैं जान की!
प्रकृति भी कम नहीं जीती,
ऋतुओं के साथ रिश्ते अटूट रखती।
लहरें समुद्र की नाचती आनंद से-
होकर प्रेम-पागल चन्द्र की चाँदनी से!
देखो राधा-कृष्ण या कृष्ण-सुदामा,
रामचन्द्र को शबरी का झूठा खाना।
दोस्त मिले अगर बचपन का-
हम जात-पात या पात्रता भूल जाते।
अगर घुल जाती ऐसी मिठास भरी मित्रता,
विश्व में-
सौहार्द की प्रीत से हिंसा हम सब भूल जाते॥

परिचय-गोपाल चन्द्र मुखर्जी का बसेरा जिला -बिलासपुर (छत्तीसगढ़)में है। आपका जन्म २ जून १९५४ को कोलकाता में हुआ है। स्थाई रुप से छत्तीसगढ़ में ही निवासरत श्री मुखर्जी को बंगला,हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। पूर्णतः शिक्षित गोपाल जी का कार्यक्षेत्र-नागरिकों के हित में विभिन्न मुद्दों पर समाजसेवा है,जबकि सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत सामाजिक उन्नयन में सक्रियता हैं। लेखन विधा आलेख व कविता है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य के क्षेत्र में ‘साहित्य श्री’ सम्मान,सेरा (श्रेष्ठ) साहित्यिक सम्मान,जातीय कवि परिषद(ढाका) से २ बार सेरा सम्मान प्राप्त हुआ है। इसके अलावा देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं से प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान और छग शासन से २०१६ में गणतंत्र दिवस पर उत्कृष्ट समाज सेवा मूलक कार्यों के लिए प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज और भविष्य की पीढ़ी को देश की उन विभूतियों से अवगत कराना है,जिन्होंने देश या समाज के लिए कीर्ति प्राप्त की है। मुंशी प्रेमचंद को पसंदीदा हिन्दी लेखक और उत्साह को ही प्रेरणापुंज मानने वाले श्री मुखर्जी के देश व हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा एक बेहद सहजबोध,सरल एवं सर्वजन प्रिय भाषा है। अंग्रेज शासन के पूर्व से ही बंगाल में भी हिंदी भाषा का आदर है। सम्पूर्ण देश में अधिक बोलने एवं समझने वाली भाषा हिंदी है, जिसे सम्मान और अधिक प्रचारित करना सबकी जिम्मेवारी है।” आपका जीवन लक्ष्य-सामाजिक उन्नयन है।

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