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प्रेम की भाषा

डॉ.पूर्णिमा मंडलोई
इंदौर(मध्यप्रदेश)

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विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष….

कई सालों से माता-पिता चारु से शादी करने को कह रहे थे,परंतु चारु शादी करने के लिए तैयार नहीं हो रही थी। चारु ३२ वर्ष हो चुकी थी। उम्र बढ़ने के साथ-साथ माता-पिता की चिंता भी बढ़ती जा रही थी।
अचानक एक दिन चारु के ऑफिस में उसके साथी ने उसे सुमित का रिश्ता बताया। सुमित की पत्नी का थोड़े दिन पहले ही स्वर्गवास हुआ था। इतना ही नहीं,सुमित की २ बेटियां पूर्वी और माही भी थी। पूर्वी ८ वर्ष और माही ४ वर्ष की थी। जैसे ही चारु ने बच्चियों के बारे में सुना,तो सोच में पड़ गई। उसके मन में विचार आया शायद इन बच्चियों को मेरी जरूरत है। क्या पता,यही मेरी मंजिल हो ? बहुत सोच-विचार के बाद चारु ने सुमित से उसके घर पर ही मिलना तय किया,ताकि वह दोनों बेटियों से भी मिल सके। पहली मुलाकात के बाद ही चारु ने सुमित से शादी करने का फैसला कर लिया था। इसलिए वह बार-बार सुमित से मिलने के बहाने पूर्वी और माही से मिलने जाती रही। कुछ ही दिनों में पता चल गया कि पूर्वी और माही भी चारु को पसंद करने लगी है। आखिरकार चारु और सुमित की शादी हो गई।
अब दिनभर दोनों बेटियां चारु के आसपास ही घूमती रहती थी। चारु ने नौकरी छोड़ दी थी। अब उसकी दुनिया पूर्वी और माही के इर्द-गिर्द ही थी। अब वह पूरा समय दोनों बेटियों को देने लगी थी। बच्चे भी प्यार की भाषा समझते हैं। जहां से प्यार मिलता है,उसी तरफ झुक जाते हैं।
धीरे-धीरे समय बीतने लगा। तब सुमित और उसके घर वालों ने चारु से उसके बच्चे के बारे में कहा। चारु का कहना था कि ये दोनों बेटियां हैं तो, फिर तीसरा बच्चा क्यों ? सुमित ने बहुत बार समझाया कि तुम्हें भी माँ बनने का पूरा अधिकार है,परंतु चारु बार-बार यही कहती रही कि,मैं इन दोनों बेटियों की माँ हूँ। मुझे अब और बच्चे की जरूरत नहीं है।
पूर्वी और माही अब बड़ी हो गई। पूर्वी चिकित्सक बन चुकी थी और माही ने भी अभी-अभी चिकित्सा महाविद्यालय में कदम रखा था। सुमित खुद एक चिकित्सक है। अतः उसका सपना था कि,दोनों बेटियां भी चिकित्सक बनें। चारु ने अपने प्यार, त्याग और समर्पण से इस सपने को साकार कर दिया। आज वह दिन आ ही गया,जब पूर्वी को उपाधि मिलने वाली थी। दीक्षांत समारोह में पूर्वी के प्रथम आने पर उसे पदक पहनाया गया तो पूर्वी ने माँ को मंच पर बुलाया और सबको बताया कि यह सब मेरी माँ की वजह से ही संभव हो पाया है,और उसने मैडल माँ को पहना दिया। चारु की आँखों से खुशी की अश्रु धारा बह रही थी। हाॅल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज रहा था। आज चारु ने अपनी मंजिल पा ली थी।

परिचय–डॉ.पूर्णिमा मण्डलोई का जन्म १० जून १९६७ को हुआ है। आपने एम.एस.सी.(प्राणी शास्त्र),एम.ए.(हिन्दी) व एम.एड. के बाद पी-एच. डी. की उपाधि(शिक्षा) प्राप्त की है। डॉ. मण्डलोई मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित सुखलिया में निवासरत हैं। आपने १९९२ से शिक्षा विभाग में सतत अध्यापन कार्य करते हुए विद्यार्थियों को पाठय सहगामी गतिविधियों में मार्गदर्शन देकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाई है। विज्ञान विषय पर अनेक कार्यशाला-स्पर्धाओं में सहभागिता करके पुरस्कार प्राप्त किए हैं। २०१० में राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान (जबलपुर) एवं मध्यप्रदेश विज्ञान परिषद(भोपाल) द्वारा विज्ञान नवाचार पुरस्कार एवं २५ हजार की राशि से आपको सम्मानित किया गया हैL वर्तमान में आप सरकारी विद्यालय में व्याख्याता के रुप में सेवारत हैंL कई वर्ष से लेखन कार्य के चलते विद्यालय सहित अन्य तथा शोध संबधी पत्र-पत्रिकाओं में लेख एवं कविता प्रकाशन जारी है। लेखनी का उद्देश्य लेखन कार्य से समाज में जन-जन तक अपनी बात को पहुंचाकर परिवर्तन लाना है।

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