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प्रकृति का प्रहार

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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उत्तराखंड हों या पहाड़ी प्रदेश,
जगह-जगह है विनाश का सन्देश।

कारण तो जानना है जरूरी यहां,
क्यों है यह वक्त की मजबूरी ?

क्यों पहाड़ों पर है गर्जन,
क्यों ग्लेशियर में हैं कम्पन ?

यह तो यहां उठता है एक यक्ष प्रश्न,
जिसे समझना है खुद से जैसे अन्तर्मन।

आखिर है इसमें किसका कमाल,
प्रकृति बन रही है क्यों विकराल ?

पेड़ों की हो रही अनगिनत कटाई,
इसमें मानव की खेल व दिखती चतुराई।

यह पर्यावरण के आवरण में,
दिखता है एक प्रहार।

यहां तबाही पर तबाही है,
लगता जैसे पर्यावरण पर हो रहा भयंकर अत्याचार।

नदियाँ भी सुरक्षित रहीं नहीं,
अब हो रहा है इस पर भी प्रहार।

यह एक विकट सी स्थिति,
उत्पन्न हो रही है यहां।

क्यों नहीं हम-सब,
करते हैं इस पर विचार ?

यहां शहरीकरण भी है,
हो रहा है बड़ी भारी।

पर्यावरण पर चिंता नहीं दिखाई देती,
प्यार बस दिखता है,जन-जन का मन बड़ा भारी।

औद्योगिकीकरण है एक उन्नत मिसाल,
सबसे ज्यादा जो मचा रहा है,पृथ्वी पर अब धमाल।

वायु प्रदूषण पर भी यहां रोक नहीं,
ध्वनि प्रदूषण भी है कुछ शौक नहीं।

पर्यावरण संरक्षण पर हो अब खूब विचार,
न हो अब इससे गम्भीर लड़ाई व तकरार॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा और बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचनाकर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र,हिंदी,इतिहास, लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एल.एल.बी., एल.एल.एम.,एम.बी.ए.,सी.ए.आई.आई.बी. व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता,रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह)आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर,चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानियाँ(पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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