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प्रेम-स्नेह खो गया …

निशा गुप्ता 
देहरादून (उत्तराखंड)

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कैसा प्रेम,किसका प्रेम,
कौन करे किस पर विश्वास।
प्यार शब्द अब खो गया,
हो गया अब ये आभास।

हमेशा गद्दारी उसने ही की,
जिस पर किया हमने विश्वास।
प्रेम-स्नेह से सींच कर बागिया एक बनाई थी,
कलियाँ कोई उस उपवन की बेदर्दी से नोंच गया।

सो गई नन्हीं परी,
घुट कर,और कर चीत्कार।
लाज ना आई राक्षस को,
जब किया उसने उस पर आघात।

सोच न पाया चेहरा वो,
अपने घर के चिरागों का।
और खुदगर्ज भाई,बीवी,
साथ दे बैठे गुनहगार का।

बीत जाता है समय बस,
लिख कर दिल पर दास्तान।
उस पर होती रहती सियासत,
चलता ही रहता है ये जहान।

मोमबत्ती जली और,
जल कर बुझ गई।
एक और ट्विंकल फिर,
समाज में बिखर गई।

परवरिश में खोट अब,
मुझको नजर आने लगी।
वरना ऐसा क्या हुआ,
जो हर मर्द को काम पिपासा सताने लगी।

नन्हीं कली हँसी होगी,
जब गोद में उसे उठाया होगा।
रे जालिम कैसा तू जल्लाद है,
जो प्यार तुझे न आया होगा।

कमबख्त बदला ही लेना था,
तो बन मर्द लेता बदला तू।
नामर्द बन कर हवस में,
क्यों उजाड़ तूने उपवन दिया।

क्या मिला तुझको बता,
क्या काम पिपासा को तू पाया बुझा ?
वासना की प्यास बुझने से पहले,
कली का जीवन तूने दिया बुझा।

अल्लाह के बंदे रोजा रख,
कर्म जघन्य किया तूने।
मिलेगा कर्म फल तुझको,
उसके ही दरबार में।

साथ में गुनाह के भागीदार,
बीवी और भाई बने।
कैसे शक्ल अपनी देखोगे,
अपने ही किरदार में।

छुओगे अपनी ही बेटी को,
गुनाह याद तब आएगा।
रो न सकेगा जालिम तू,
और न हँस पायेगा।

बेटी तेरी कांधे पे चढ़,
तुझसे जब कुछ मांगेगी।
ताप उसकी छुअन की,
फिर तू न सह पाएगा।

एक तारा फलक पर,
बढ़ गया ट्विंकल नाम का।
हर रोज दिखेगा चमकता,
जहान फिर भी भूल जाएगा॥

परिचय-निशा गुप्ता की जन्मतिथि १३ जुलाई १९६२ तथा जन्म स्थान मुज़फ्फरनगर है। आपका निवास देहरादून में विष्णु रोड पर है। उत्तराखंड राज्य की निशा जी ने अकार्बनिक रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर किया है। कार्यक्षेत्र में गृह स्वामिनी होकर भी आप सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत श्रवण बाधित संस्था की प्रांतीय महिला प्रमुख हैं,तो महिला सभा सहित अन्य संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। आप विषय विशेषज्ञ के तौर पर शालाओं में नशा मुक्ति पर भी कार्य करती हैं। लेखन विधा में कविता लिखती हैं पर मानना है कि,जो मनोभाव मेरे मन में आए,वही उकेरे जाने चाहिए। निशा जी की कविताएं, लेख,और कहानी(सामयिक विषयों पर स्थानीय सहित प्रदेश के अखबारों में भी छपी हैं। प्राप्त सम्मान की बात करें तो श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान,विश्व हिंदी रचनाकार मंच, आदि हैं। कवि सम्मेलनों में राष्ट्रीय कवियों के साथ कविता पाठ भी कर चुकी हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य- मनोभावों को सूत्र में पिरोकर सबको जागरुक करना, हिंदी के उत्कृष्ट महानुभावों से कुछ सीखना और भाषा को प्रचारित करना है।

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