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प्रेम

कृष्ण कुमार कश्यप
गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

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प्रेम अराधना,प्रेम ही पूजा,
प्रेम आत्मा की पुकार है।
प्रेम से बड़ा न कोई दूजा,
प्रेम तो ईश्वरीय उपहार है।

प्रेम कर्म है,प्रेम ही मर्म,
प्रेम धर्म का प्राण-सार है।
प्रेम गर दिल में हो सबके,
तो हर जन एक अवतार है।

प्रेम न बिकता बाजारों में,
रत्न बड़ा यह अनमोल है।
इसके बिना जीवन अधूरा,
प्रेम सुधा का एक घोल है।

प्रेम शक्ति,प्रेम ही भक्ति,
प्रेम विश्वास का आधार है।
प्रेम बिना परमेश्वर न मिले,
प्रेम बिना खत्म संसार है।

प्रेम गीता,प्रेम ही कुरान,
प्रेम बाईबल का सार है।
प्रेम से ही ये दुनिया टिकी,
प्रेम बिना जीवन बेकार हैll

परिचय-कृष्ण कुमार कश्यप की जन्म तारीख १७ फरवरी १९७८ और जन्म स्थान-उरमाल है। वर्तमान में ग्राम-पोस्ट-सरगीगुड़ा,जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़) में निवास है। हिंदी, छत्तीसगढ़ी,उड़िया भाषा जानने वाले श्री कश्यप की शिक्षा बी.ए. एवं डी.एड. है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक (नौकरी)होकर सभी सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी और लघुकथा है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य ग़ौरव सम्मान-२०१९, अज्ञेय लघु कथाकार सम्मान-२०१९ प्रमुख हैं। आप कई साहित्यिक मंच से जुड़े हुए हैं। अब विशेष उपलब्धि प्राप्त करने की अभिलाषा रखने वाले कृष्ण कुमार कश्यप की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिंदी लेखक- मुंशी प्रेमचंद हैं तो प्रेरणापुंज-नाना जी हैं। जीवन लक्ष्य-अच्छा साहित्यकार बनकर साहित्य की सेवा करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“मेरा भारत सबसे महान है। हिंदी भाषा उसकी शान है।”

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