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फिर ये नजर हो न हो

रूपेश कुमार
सिवान(बिहार) 
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फिर ये नजर हो न हो,
मैं और मेरी तनहाई
नजर आएगी,
तेरा मुस्कुराता
चेहरा यूँ खिलखिलाता,
नाम तेरा पूजता रहूं।
फिर ये नजर हो न हो…

जिंदगी के खेल में,
फूलों के मेल में
कलियों के साथ,
गुलाबों के हाथ
तुम मुझे सम्मान दो,
या मुझे उफान दो
मैं मिलूंगा फिर तुमसे।
फिर ये नजर हो न हो…

रात की बात में,
दिन की याद में
दोस्तों के साथ में,
हसीनाओं के हाथ में
आँख की आँसूओं में,
दिल की धड़कन में
याद आ जाओ तुम।
फिर ये नजर हो न हो…॥

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