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प्रीत सरसे

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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नेह की सौगा़त पाई,
लग गया मन खिलखिलानेl

ऋतु सुहानी सावनी में,
पवन पुरवाई चली है‌l
मेघ छाया कर रहे ज्यों,
भीगते आँगन गली हैl
मोर वन मन नाचते हैं,
फिर चले कैसे बहानेl
नेह की सौगात पाई,
लग गया मन खिलखिलानेll

गंध तन की भा रही ज्यों,
गंध सौंधी सावनी-सीl
नेह बरसे प्रीत सरसे,
खेत में मन भावनी-सीl
दामिनी दमकी,प्रिया भी,
लिपट लगी साँसें बजानेl
नेह की सौगात पाई,
लग गया मन खिलखिलानेll

तितलियों को देखता मन,
कल्पना में उड़ रहा थाl
भ्रमर गाता तन सुलगता,
मेह रिमझिम पड़ रहा थाl
पृष्ठ से दो हाथ आए,
बँध गये बंधन सुहाने‌l
नेह की सौगात पाई,
लग गया मन खिलखिलानेll

पुष्प गंधी,है प्रिया यह,
इंद्रधनुष-सी चुनरी तनl
कजरा-गजरा बिंदिया से,
बहका-बहका लगे चमनl
पहल करे मन मोर नचे,
तन निहारूँ मन रिझाने।
नेह की सौगात पाई,
लग गया मन खिलखिलानेll

दीप का यह पर्व आया,
देहरी सजने लगी हैl
द्वार घर हँसते लगे सब,
प्रेम की पींगें पगी हैl
दीप का ले थाल आई,
पर्व दर पर वह सजानेl
नेह की सौगात पाई,
लग गया मन खिलखिलानेll

रीत निभे मन प्रीत पले,
द्वार देहरी दीप सजेl
लक्ष्मी पूजे प्रेम धनी,
हृदय तार प्रिय भजन बजेl
मन पावन मनमीत मिले,
प्रियवर मन लगे हँसानेl
नेह की सौगात पाई,
लग गया मन खिलखिलानेll

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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