कुल पृष्ठ दर्शन : 340

You are currently viewing फिसल गया

फिसल गया

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
******************************************

ली यूँ विदाई,
फिसल गया साल-
ले घड़ी आई।

माला से मोती,
बिखरा टूटकर
चिंता ये होती।

उम्र भी आगे,
बदलती तारीख
समय भागे।

सूर्य उतरा,
नया चाँद आएगा
कौन ठहरा ?

रिश्ते बिखरे,
पर पंछी उड़ेगा-
साथ में सदा।

ये चंद यादें,
दूर निकला वर्ष-
स्मृति में बातें।

अधूरे ख्वाब,
छूटी कई मंजिल-
नया हिसाब।

यूँ अलविदा
मिले सफर नया
नहीं हो जुदा।

स्वागत नया,
मुस्कान-सी ये धूप-
तेईस आया।

करें संकल्प,
रखेंगे बस स्नेह-
लेना प्रकल्प॥

Leave a Reply