अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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ली यूँ विदाई,
फिसल गया साल-
ले घड़ी आई।
माला से मोती,
बिखरा टूटकर
चिंता ये होती।
उम्र भी आगे,
बदलती तारीख
समय भागे।
सूर्य उतरा,
नया चाँद आएगा
कौन ठहरा ?
रिश्ते बिखरे,
पर पंछी उड़ेगा-
साथ में सदा।
ये चंद यादें,
दूर निकला वर्ष-
स्मृति में बातें।
अधूरे ख्वाब,
छूटी कई मंजिल-
नया हिसाब।
यूँ अलविदा
मिले सफर नया
नहीं हो जुदा।
स्वागत नया,
मुस्कान-सी ये धूप-
तेईस आया।
करें संकल्प,
रखेंगे बस स्नेह-
लेना प्रकल्प॥