अंजना सिन्हा ‘सखी’
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
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राम-राज…
आओ मिलकर आज मनाएं, अपनी ऐसी दिवाली।
तेल नदारत दिया गायब, चाहे हो अब फटहाली॥
सवा अरब की आबादी पर, लावारिस दादा-दादी।
जरा सोच तू मानव प्यारे, कैसे हो सुंदर वादी॥
अंतर मन का तमस मिटाना, कहीं न हो रातें काली,
आओ मिलकर आज मनाएं, अपनी ऐसी दिवाली…॥
हो मत कोई भूखा जग में, मिलकर मोद मनाना है।
शमशान तक कंधा देकर, अंतिम साथ निभाना है॥
लबों पे हँसी चाहे बंधक, अब पत्नी की हो बाली,
आओ मिलकर आज मनाएं, अपनी ऐसी दिवाली…॥
अगर मान लो बात हमारी, रिश्ता रखना सबसे प्यारा।
द्वैष-भाव को आज मिटा लो, हो सबमें भाईचारा॥
हँसी रहे सबके मुख पर, जीवन में हो खुशहाली।
आओ मिलकर आज मनाएं, अपनी ऐसी दिवाली…॥