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फुहार

छगन लाल गर्ग “विज्ञ”
आबू रोड (राजस्थान)
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पुलक उठी है उर मनुहार,
मुखर मुग्ध कर रही फुहारl

सिहर उठा कोमल अति गात,
चंचल मुग्ध बेसुध सखि रातl
श्याम देह निखरी अनुपात,
भरे मकरंद रस जलजातl

रजत श्याम का मृदु श्रृंगार,
मुखर मुग्ध कर रही फुहारl

मधुर मिलन बढ़ जाता राग,
धरा गगन मिल बना सुहागl
प्रकृति नृत्य करती अनुराग,
तृप्ति भरा तन पावन त्यागl

मदहोश है कलियाँ निहार,
मुखर मुग्ध कर रही फुहारl

मृदुल नेह भीग रहे अंग,
कंपित तृण लहराये संगl
चंचल अरुण सजल नव रंग,
लीन कामिनी बूँद अनंगl

बढ़ रहा आनंद विस्तार,
मुखर मुग्ध कर रही फुहारl

पिक दादुर सब बोले बोल,
राग भरे पंछी अनमोलl
भीग रहे नद ताल कपोल,
भाग रही सरिता रस घोलl

मन रस भीग रहा अति प्यार,
मुखर मुग्ध कर रही फुहारll

परिचय–छगनलाल गर्ग का साहित्यिक उपनाम `विज्ञ` हैl १३ अप्रैल १९५४ को गाँव-जीरावल(सिरोही,राजस्थान)में जन्मे होकर वर्तमान में राजस्थान स्थित आबू रोड पर रहते हैं, जबकि स्थाई पता-गाँव-जीरावल हैl आपको भाषा ज्ञान-हिन्दी, अंग्रेजी और गुजराती का हैl स्नातकोत्तर तक शिक्षित श्री गर्ग का कार्यक्षेत्र-प्रधानाचार्य(राजस्थान) का रहा हैl सामाजिक गतिविधि में आप दलित बालिका शिक्षा के लिए कार्यरत हैंl इनकी लेखन विधा-छंद,कहानी,कविता,लेख हैl काव्य संग्रह-मदांध मन,रंजन रस,क्षणबोध और तथाता (छंद काव्य संग्रह) सहित लगभग २० प्रकाशित हैं,तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl बात करें प्राप्त सम्मान -पुरस्कार की तो-काव्य रत्न सम्मान,हिंदी रत्न सम्मान,विद्या वाचस्पति(मानद उपाधि) व राष्ट्रीय स्तर की कई साहित्य संस्थानों से १०० से अधिक सम्मान मिले हैंl ब्लॉग पर भी आप लिखते हैंl विशेष उपलब्धि-साहित्यिक सम्मान ही हैंl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का प्रसार-प्रचार करना,नई पीढ़ी में शास्त्रीय छंदों में अभिरुचि उत्पन्न करना,आलेखों व कथाओं के माध्यम से सामयिक परिस्थितियों को अभिव्यक्ति देने का प्रयास करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद व कवि जयशंकर प्रसाद हैंl छगनलाल गर्ग `विज्ञ` के लिए प्रेरणा पुंज- प्राध्यापक मथुरेशनंदन कुलश्रेष्ठ(सिरोही,राजस्थान)हैl

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