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बच्चे राष्ट्र की धरोहर

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष………..


वर्तमान का बच्चा भविष्य के नौजवान राष्ट्र के कर्णधार करते राष्ट्र का निर्माण,
स्वस्थ शिक्षित बच्चों का समाज राष्ट्र की खुशहाली-हरियाली का चमन बहारl

बच्चे राष्ट्र के गौरव गाथा की बुनियाद आधार,जहाँ ना कुपोषण हो,हर बच्चा स्वस्थ,प्रसन्न आशाओं-विश्वास की मोहक मुस्कानl
शक्तिशाली समाज देश की माटी चंदन बच्चा-बच्चा कृष्ण रामl

अबोध दुनियादारी से अनजान का वर्तमान बच्चा खुद में भगवान भविष्य के राष्ट्र समाज का भाग्य भगवान,
बच्चों में ना कुपोषण हो,भरपूर पालन-पोषण हो बच्चों की मुस्कान राष्ट्र की,अरमानों का जमीं-आसमानl

संस्कृति और संस्कारों के हथियारों की दीक्षा-शिक्षा दूरदृष्टि,मजबूत इरादों के जज्बे-जज्बात के जवां जहाँ का नाज़,
जहाँ जन्म लेते ही बच्चों रोटी की हो मारामारी पैदा करने माँ-बाप बोझ,पैदा होते अरमानों के जमीं-आसमान मजदूर बनने को मजबूरl

नौनिहाल नए सुबह के शौर्य की किलकारी देश के आँगन की फुलवारी,नित-नित बढ़ते लड़ते वर्तमान की चुनौती रचने को भविष्य का इतिहास,
बच्चा ना नर-ना नारी-ना किन्नर,बच्चा राष्ट्र समाज का कर्म-धर्म मूल्यों-मर्यादा की धन्य धरोहरl

बाल श्रमिक शर्म,समाज का अपमान-राष्ट्र का,लाज-नाज़ का भूखे-नंगे बेबस लाचार का वर्तमान,भय-भूख,कमजोर असहाय भविष्य के राष्ट्र का,
ना कोई महामारी,ना कोई बीमारी हो,हर नौनिहाल हो स्वस्थ,राष्ट्र समाज के स्वाभिमान की मुस्कान वर्तमान में शौर्य का शंखनाद स्वर्णिम भविष्य का निर्माता नौजवानl

राष्ट्र समाज के हर नागरिक की जिम्मेदारी है,बच्चे में ना हो कुपोषण,ना बाल श्रम का बने बचपन गुलाम,
बच्चों के संग ना हो कोई अन्याय-अत्याचार-व्याभिचार,बच्चों के लिए घर मंदिर हो बच्चे हों भगवानl

बच्चे सिर्फ़ निश्छल,निर्विकार के निर्मल मन के मानव मर्यादा मूल्यों की मुस्कान का प्रतिपल प्रवाह,
बच्चे तो द्वेष,दम्भ,घृणा मित्र-शत्रु की घृणित मानव मतलब की विकृति से अनजानl

बच्चों के लिए प्यार ही परवरिश का आकर्षण,परिवार की पहचान का परिधान,घर-मंदिर में भोले-भाले बच्चों के संग न करें व्याभिचार,
सगे-संबधी रिश्तेदारl

पैदा होते ही बच्चा देखे नंगा नाच विकृत तांडव करता समाज,विकृत हो कोमल भावनाएं,
बच्चा बन जाये भविष्य के लिये भयंकर विकृति विकट विकराल नकारात्मक के आधार से जन्मा राष्ट्र समाज का विध्वंसक नागरिक नौजवानl

शिक्षा,दीक्षा,स्वास्थ्य का का बुनियादी अधिकार पर्याप्त मिले,
ना बाल श्रम की गुलामी,ना रिश्ते-नातों से व्यभिचार की संस्कृति संस्कार मिलेl

माटी के कण-कण का बच्चा माटी की स्वाभिमान सम्मान अभिमान की पहचान नेक श्रेष्ठ का राष्ट्र समाज का विश्व देश युग ब्रह्माण्ड का गौरव गान बने,
बच्चे को प्यार परवरिश का समाज राष्ट्र का परिवार मिले पोषण,पालन का पौष्टिक आहार मिलेl

संस्कृति,संस्कारों का बच्चों को उपहार मिले,
राष्ट्र समाज के स्वर्णिम इतिहास की बुनियाद का ऊर्जा उत्साह उमँग की दुनिया का जीवन शान मिलेl

बच्चे मन के सच्चे,दुनिया की नज़रों के नूरे-नज़र नाज़ अरमानों उम्मीदों के जमीं-आसमान की बुनियाद,
इंसानी इल्मो-हुनर की खुदाई,फरियाद की चलती दुनिया जहां की जान प्राण पहचानl

बच्चे जब कोख में मारे जाते लड़के-लड़की के अंतर से वार-न्यारे और दुलारे जाते जानो राष्ट्र समाज में है अंधेरा और अशिक्षा,
कल खुद जो बच्चे थे आज बने हैं माँ-बाप फैसला कर देते बेटी-बेटे का सम्मान साम्राज्यl

कौन हो तुम ? किसने दिया फर्क करने का बेटी-बेटे में,तुमको हर बेटा बच्चा कृष्ण राम है,
तो हर बेटी सीता,सावित्री,राधा,रुक्मिणी,अनसुईया,झांसी की रानी,इंदिरा कल्पना चावलाl

राष्ट्र समाज के नाज़ बुनियाद का सम्मान रचते इतिहास है,दुनिया के गुलशन में बच्चों की किलकारी गूँजे,
हर बच्चा राष्ट्र समाज की आन-बान की मुस्कान होl

महके दुनिया की फुलवारी,दुनिया का हर मानव ममता महत्व के बगीचे का बागवान हो,
दुनिया में बच्चों की खातिर यही खास पैग़ाम होll

परिचय-एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।

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