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‘बदला’ रहस्यमय हत्या की शानदार गुत्थी

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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११८ मिनट की फिल्म ‘बदला’ में
अदाकार अमिताभ बच्चन,तापसी पन्नू,अमृता सिंह,टोनी ल्यूक और मानव कौल हैं। निर्देशक सुजॉय घोष ने यह फ़िल्म स्पेनिश फ़िल्म ‘कांतरोतिएमो’ से उठाई है,जिसको अंग्रेजी में ‘इनविजिबल गेस्ट’ नाम से प्रदर्शित किया गया था,सिर्फ हिंदी फिल्म में लिंग बदलाव किए गए हैं।


यह फ़िल्म रहस्यमय(सस्पेंस), मर्डर मिस्ट्री है जो आपको बांधे रखने में सफल है। साथ ही फ़िल्म में परत दर परत कई रोमांचक मोड़ और पहेलियां आती-जाती हैं,जिससे आप फ़िल्म में कुर्सी पर बंधे रह जाते हैं।
रहस्यमयी फ़िल्म की ताकत ही उसका रहस्य होता है,तो उसे खोले बिना ही फ़िल्म का जिक्र होगा। साथियों, कहानी पर चर्चा के मुताबिक-नैना (तापसी) एक जवान उद्यमी है,जो शादीशुदा होकर एक बच्ची की माँ भी है। उसका अर्जुन नामक एक शख्स से प्रेम प्रसंग भी है। दोनों छिप- छिपकर मिलते रहते हैं। दोनों पेरिस में कार से जा रहे होते हैं,तो नैना की कार से सनी नामक लड़के की दुर्घटना में मौत हो जाती है। तब अर्जुन और नैना मिलकर लाश को ठिकाने लगा कर सबूत मिटाते हैं। यह सब कोई तीसरा शख्स देख लेता है, और नैना को ब्लैकमेल करने लगता है। अर्जुन एवं नैना ब्लैकमेलर को पैसे चुकाने एक होटल पहुंचते हैं,तो यहां से शुरू होता है नया रोचक मोड़। यहां अर्जुन का कत्ल हो जाता है और ब्लैकमेलर बिना पैसे लिए चला जाता है। अर्जुन के कत्ल का इल्जाम नैना पर आ जाता है। नैना का प्रकरण लड़ने के लिए एडवोकेट बादल गुप्ता(अमिताभ) को चुना जाता है,जिसने अपनी ४० साला वकालत में कभी कोई प्रकरण नहीं हारा।
अब शुरू होता है ट्विस्ट और टर्न्स के रहस्य का खेल। अंत में क्या नैना बच पाती है,बादल गुप्ता जीत पाते हैं और असली हत्यारा कौन है ?,इन सब सवालों के जवाब के लिए फ़िल्म देखना पड़ेगी।
फ़िल्म की कहानी ओरिअल पाओलो की है। पटकथा सुजॉय घोष ने लिखी है,जो कसी हुई है। राज वसंत ने सवांद लिखे हैं,जो काबिले तारीफ है। फ़िल्म का संगीत औसत है और फ़िल्म को सहयोग करता है। यह अमाल मलिक का है।
फ़िल्म का दूसरा हिस्सा बेहद कसा हुआ है,जो कुर्सी से बांध देता है। फ़िल्म को २२०० सिनेमाघर मिले हैं,जिससे ४ से ७ करोड़ की शुरूआत मिल सकती है। फ़िल्म का बजट ३० करोड़ बताया गया है,जो इसके अकेले प्रदर्शन पर मिलते दिख रहा है। इस फ़िल्म को ३ सितारे देना बेहतर है।

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

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