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बन्धन ये रक्षा का…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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रक्षाबंधन विशेष….

बंधन ये रक्षा का बहना मांगे वचन ये भाई से,
साथ निभाना,लाज बचाना,इस दुनिया हरजाई से।

माँ बाबा के आँगन पल के थोड़ी सी मैं बड़ी हुई,
पाया प्यार तुम्हारा जबसे लगती जैसे दुनिया नई।

हाथ तुम्हारा बढ़ा हुआ था मेरा साथ निभाने को,
लगता कम था बचपन भी,प्यार तुम्हारा पाने को।

सूरत सम्भली,आई वो राखी,याद हमेशा आए है,
साथ तुम्हारा बना रहे ये,पल-पल भले ही जाए है।

बीते यो हीं,बरस बरस राखी जब-जब भी आए है,
कहूँ न कहूँ,जब भी सोचूँ,मन मेरा भर जाए है।

इक दिन छोड़,ये अंगना,पी घर भी तो जाना है,
दूर भले रहूँ मैं कितना फिर भी प्यार निभाना है।

छोटी हूँ तुमसे तो भी मांगू फिर फिर ये आशीष,
माँ-बाबा का खिला रहे मन,हाथ रहे सदा इस शीश।

याद भले मुझको कम करना,उनको रखना जरा सम्भाल,
मैं तो बेटी थी बस उनकी,तुम तो उनके प्यारे लाल।

आशा तुमसे बहुत करें वो,माने तुमको अपना सब,
थाम सदा उनको तुम लेना सम्भल न पाये जीवन जब।

हर राखी पर हो सकता है,आ भी ना पाऊँगी मैं,
तन से भले पहुंच न पाऊँ,मन से तो आऊंगी मैं।

आई हूँ इस राखी पर तो लूँगी वचन ही ये तुमसे,
जन्म भले गुजर ही जाए,रिश्ता बना रहे तुमसे।

हाथ ये जोड़ूँ उस ईश्वर को इस जग का जो तारणहार,
जब तक तू है बना रहे यूँ ही भाई-बहन का प्यारा प्यार॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|

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