पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़)
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विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष………..
छोटे बच्चे ये दुलारे,कितने सलोने हैं ये,
भोली मुस्कान इनकी,प्यार समझाइए।
जैसा हम सँवारेंगे,वैसे बन जायेंगे ये,
देना संस्कार इनको,जिंदगी संवारिए।
माता-पिता साथ रहे,दादा-दादी पास रहे,
पायेंगे जो आपसे ये,उसे ही लौटायेगें।
जात-पात छोड़िए ना,सही बातें करिए ना,
बुद्धि के हैं भोले सब,बातों में ना लाइए।
पढ़ें अपने देश में,बनते क्यों विदेशी हो,
घर में भी रोटी मिले,सम्मान बचाइए।
छोटी-छोटी बातें सब कहाँ भूले हम सब,
बच्चों का भविष्य है ये,थोड़ा तो सँवारिएl
देश के भविष्य ये हैं,और हिन्द की जान है,
देश को सँवारेंगें ये,इनको बचाइएll
परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।