रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’
दिल्ली(भारत)
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विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष………..
बच्चे तो आखिर बच्चे होते हैं,
थोड़े नटखट,थोड़े चंचल होते हैं।
बात हमेशा ये सच्ची ही करते,
झूठ,फरेब और नहीं,धोखा करते।
चुलबुली और प्यारी बातें करते,
बच्चों से घर-आँगन महका करते।
हो-हल्ला व धमाचौकड़ी मचाते,
सबकी नकल और एक्टिंग करते।
दादी-दादा का मन खूब बहलाते,
वे भी संग इनके बच्चा बन जाते।
नित्य नई-नई फिर शरारतें करते,
स्कूल जाने से ये घबराते हैं।
बोझ बस्ते का वहन न कर पाते हैं,
मन की बात ये कभी छुपा न पाते।
कभी-कभी ये गुस्सा भी हो जाते,
थोड़े प्यार से फिर मान भी जाते।
बच्चों में होती भगवान की मूरत,
भोले-भाले हैं दिल के खूबसूरत।
बच्चे तो आखिर बच्चे होते हैं,
थोड़े नटखट,थोड़े चंचल होते हैंll
परिचय-रीता अरोड़ा लेखन जगत में ‘h हिन्द हाथरसी’ के नाम से जानी जाती हैं। स्थाई निवास दिल्ली में ही है। १९६४ में २६ अक्टूबर को हाथरस (जिला अलीगढ़,उत्तर प्रदेश) में जन्म हुआ है। आपने बीए और बीएड की शिक्षा प्राप्त की है। लम्बे समय से लेखन में सक्रिय रीता जी ने कोरियर कंपनी में करीब २५ वर्ष कार्य किया है। कवि इंद्रजीत तिवारी और निर्भीक जी वाराणसी के साथ ही काव्य की शिक्षा दिल्ली से हासिल की हैl आपकी प्रेरणा का पुंज डाॅ.अशोक कश्यप (साहित्यकार) एवं जगदीश मित्तल हैं। पुस्तकें पढ़ना,धार्मिक-ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण एवं लेखन कार्य ही आपका मनपसंद काम हैl यह सभी विधाओं में लेखन करती हैं। अगस्त तक आपकी एकल पुस्तक आ जाएगी तो कई साझा संग्रह में सखी परिवार साझा संग्रह में रचनाएं छपी हैं। सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर आप कई समाजसेवी संस्थाओं से आजीवन सदस्यता में जुड़ी हुई हैंl आपको देशसेवा,पशु-पक्षियों से लगाव, साहित्य से प्रेम के साथ ही पसंदीदा खेल बैडमिंटन,कैरम और शतरंज हैंl साहित्य में इनकी उपलब्धि यही है कि,बहुत-सी पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हैं तो, समाचार-पत्रों में लेखन,कहानी,निबंध, शायरियां,दोहे,कविताएँ,हास्य लेख प्रकाशित होते हैंl आपको विशेषज्ञता आलेख तथा गीत में है। सम्मान की श्रंखला में आपको विश्वगुरू भारत परिषद-२०१७,काव्य सम्मान, जय हिन्द मंच से सम्मान, स्वच्छ भारत अभियान सम्मान,दर्पण पत्रकारिता सम्मान सहित प्रादेशिक स्तर पर भी कई काव्य सम्मान मिले हैंl आपका लेखनी का लक्ष्य हिन्दी साहित्य में योगदान देना और देश में हिन्दी भाषा के प्रति जागरूकता लाना हैl