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बाल संरक्षण

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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नर्मदा के तट पर शरद बहुत देर खड़ा रहा। उन बच्चों की कारगुज़ारियों को देखता, जानता, परखता रहा। वैसे तो वह कई दिन से उन स्वच्छंद बच्चों पर नज़र रखे हुए था, पर अब उससे रहा न गया, तो उसने ज़िले के बाल संरक्षण अधिकारी को फोन कर दिया। उधर से आवाज़ आई-

“हैलो कौन ?”
“मैं एक ज़िम्मेदार नागरिक बोल रहा हूँ। यहाँ नर्मदा तट पर कुछ स्वच्छंद बच्चे धमा-चौकड़ी करते रहते हैं, उन्हें पकड़कर बाल संरक्षण गृह ले जाएं।”
“ज़रूर।” वहाँ से जवाब मिला, और फोन कट गया।
इसके १५-२० मिनट के अंदर ४ लोगों का एक दल बोलेरो गाड़ी में आ पहुँचा, और हुल्लड़ कर रहे उन पाँचों बच्चों को धर लिया।
“तुम्हारे माता-पिता नहीं हैं ? “
“नहीं।”
“तुम यहां क्या रहे हो ? “
“जो नदी में जो नारियल चढ़ाते हैं, हम कूदकर तैरकर निकाल लाते हैं, और दिनभर में इकट्ठे किए नारियल दुकानदार को बेच देते हैं।”
“तो रुपयों का क्या करते हो ?”
“कुछ की रोटी खा लेते हैं, और बचे रुपयों से गुटखा खा लेते हैं, और मस्त रहते हैं।”
“रहते कहाँ हो ?”
“यूँ ही कहीं भी पड़े रहते हैं।”
“तुम्हारे रहने-खाने का इंतज़ाम कर दिया जाए, तो पढ़ने स्कूल जाना चाहोगे ?”
“हाँ-हाँ, क्यों नहीं ? ज़रूर।”
“तो चलो हमारे साथ। अब तुम बाल संरक्षण गृह में रहोगे। वहीं तुम्हें खाना मिलेगा, और कल से तुम स्कूल भी जाओगे।”
“जी, बिलकुल।”
“और यह नारियल इकट्ठा करने का काम बिलकुल बंद।”
“जी बिलकुल।”
“तो चलो बैठो गाड़ी में।”
“जी बिलकुल।”
और देखते ही देखते वे पाँचों गाड़ी में बैठकर चले गए। यह देखकर शरद बड़े संतोष के साथ घर की ओर चल दिया। शरद बहुत खुश था कि उसने पाँच बच्चों के जीवन को सुधारने में एक ज़िम्मेदार नागरिक का काम किया था।

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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