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विसंगतियों पर करारा प्रहार करते हैं रामखेलावन से

सम्मान-लोकार्पण-संगोष्ठी…

पटना (बिहार)।

रणविजय राव के व्यंग्य का पात्र रामखेलावन आम आदमी का प्रतिनिधि है। रामखेलावन के माध्यम से श्री राव समाज और आसपास के परिवेश में व्याप्त विसंगतियों पर करारा प्रहार करते हैं। वीरेन्द्र यादव जी जगदम्बी बाबू की सोच एवं उनके कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं और देश-विदेश में हिंदी का परचम लहरा रहे हैं, जो बड़ी बात है।
यह बात पुस्तक के भव्य लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित बिहार राज्य के उद्योग मंत्री समीर महासेठ ने कही। युवा साहित्यकार रणविजय राव के व्यंग्य संग्रह ‘लोकतंत्र की चौखट पर रामखेलावन’ का जगदम्बी प्रसाद यादव स्मृति प्रतिष्ठान एवं अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद द्वारा पटना में लोकार्पण, राजभाषा संगोष्ठी एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर उन्हें प्रतिष्ठान द्वारा ‘जगदम्बी साहित्य शिखर सम्मान-२०२३’ से सम्मानित किया गया।
अध्यक्षता की भारत सरकार के हिंदी सलाहकार वीरेंद्र कुमार यादव ने तो सारस्वत अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार विधान परिषद के सदस्य डॉ संजय पासवान रहे। विशिष्ट अतिथि खादी ग्रामोद्योग आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिलीप कुमार, विशिष्ट वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. शिवनारायण और प्रतिष्ठान की महासचिव श्रीमती अंशुमाला की उपस्थिति भी रही।
अध्यक्ष श्री यादव ने कहा कि रणविजय राव एक सुलझे हुए साहित्यकार हैं और बेहतर लेखन कर रहे हैं। इनके लिखे व्यंग्य, कहानियों, कविताओं को पढ़ने पर ये अपनी उम्र से ज्यादा परिपक्व नज़र आते हैं। उन्होंने राजभाषा संगोष्ठी में राजभाषा की स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी को आज केवल साहित्य की भाषा ही नहीं बल्कि इसे ज्ञान, विज्ञान, शासन-प्रशासन, न्याय और न्यायालय की भाषा बनाने की ज़रूरत है।
साहित्यकार डॉ. पासवान ने कहा कि ‘लोकतंत्र की चौखट पर रामखेलावन’ के आलेखों को पढ़कर मालूम पड़ता है कि रणविजय राव एक सजग साहित्यकार हैं और समाज की विसंगतियों पर पैनी नज़र रखते हैं। उन्होंने वीरेन्द्र यादव एवं अंशुमाला द्वारा हिंदी के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना की। लेखकीय वक्तव्य में रणविजय राव ने कहा कि मैं जो अनुभव करता हूँ, अपने आसपास परिवेश, समाज एवं देश में जो देखता हूँ, उसे अपनी कलम के माध्यम से व्यक्त करने की कोशिश करता हूँ। कार्यक्रम का आरंभ जगदम्बी बाबू एवं बापू की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित करने, अतिथियों का स्वागत एवं लोकप्रिय गीतकार डॉ. नीतू कुमारी के नवगीत के स्वागत गान से हुआ।
संगोष्ठी के पश्चात साहित्यकार सिद्धेश्वर के कुशल संचालन में यादगार काव्य संध्या हुई, जिसमें डॉ. भावना शेखर, रानी श्रीवास्तव, प्रो. सुधा सिन्हा, राज प्रिया रानी, डॉ. कल्याणी कुसुम आदि ने प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया।

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