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बेटियों की बात ही निराली

डॉ.मधु आंधीवाल
अलीगढ़(उत्तर प्रदेश)
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बेटियों की बात ही निराली है,
ये तो लगती ही बहुत प्यारी हैं
जब हँसती हैं तो चहचहाता सारा उपवन,
जीवन की हर कठिनाई को
हम हँसते-हँसते सह जाती हैं।
फिर भी लोग हमें ‘अबला’ नारी कहते,
पिता के घर की रौनक हैं हम
तो पति के घर का सम्मान हैं,
दो-दो घरों को सजाती हैं
बंश बेल को बढ़ाती हैं।
हम ना हों तो कैसा होगा ये जीवन!
कहां से मिलेगी माँ की ममता,
कहां से मिलेगा बहन का प्यार!
जब हम नहीं होंगी तो,
कैसे होगा सृष्टि का निर्माण ?
क्या बिन हमारे जीवन संभव है!
इसलिए ही तो बेटियों की,
बात निराली है…॥

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