सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’
मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश)
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तुम ‘से कम बोलिए कहाँ हम हैं।
तुम ज़मीं हो तो आसमाँ हम हैं।
एक दिल और एक जाँ हम हैं।
एक-दूजे पे ‘मेह्रबाँ हम हैं।
क्या बताएँ के अब कहाँ हम हैं।
तुम जहाँ हो सनम वहाँ हम हैं।
हम’ भी देखें के कौन छूता है।
अपनी मिट्टी ‘के पासबाँ हम हैं।
वो ख़फ़ा ‘हैं तो हों भले हम से।
उनकी बातों से शादमाँ हम हैं।
और कोई भी शय ‘नहीं यारों।
बज्हे तख़लीक़े दो जहाँ हम हैं।
हम ‘फ़राज़’ उनके हैं सनागुसतर।
कैसे ‘कह दें ‘के बदगुमाँ हम हैं॥