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भर लूँ उड़ान

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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उन्मुक्त उड़ानें भरने को, अन्तर्मन विहग मचलता है,
अभिलाषा मन गुलज़ार गगन, खुशियाँ कल्लोल चहकता है।

आधार खुशी उन्मुक्त क्षितिज, मुस्कानों से भर जाता है,
संकल्प मंजिलें बन शाश्वत, खुल पंख ध्येय पथ जाता है।

पुरुषार्थ अटल उन्मुक्त सफ़र, नव सोच शोध बन जाता है,
मितभाष हास सत्पथ उड़ान, आज़ाद स्वाद दे जाता है।

हो नव विहान यश अमर गान, सम्मान शान मुस्काता है,
अरुणिमा भोर नव प्रगति मोर, साफल्य क्षितिज छा जाता है।

स्वाधीन मुदित स्वप्निल सुनहल, रोमांच हृदय दे जाता है,
मदमस्त उड़ानें भरने को, कल्पनाओं में खो जाता है।

मंगल यान हो नित उड़ान, पथ चन्द्रयान उड़ जाता है,
आनंद प्रगति विज्ञान सुमति, पुरुषार्थ सबल दिखलाता है।

निर्बाध गहन अध्ययन चिन्तन, नव लक्ष्य साक्ष्य बन जाता है,
बस राष्ट्र धर्म पुरुषार्थ मर्म, सौहार्द्र क्षितिज फैलाता है।

नव आश करण विश्वास स्वयं, आभास सबल दिखलाता है,
सत्प्रेरक दिग्दर्शक उड़ान, निर्भीक शौर्य उद्गाता है।

अभिलाष हृदय भर दूँ उड़ान, परमार्थ निकेतन जाता है,
कवि कीर्ति तिरंगा भारत नभ, चन्द्रयान विहग उड़ जाता है।

बस इष्ट चित्त उत्कृष्ट वृत्त, जो राष्ट्र-धर्म पथ जाता है,
कुछ पल जीवन जो दुर्लभ क्षण, बलिदान वतन हित जाता है।

भर लूँ उड़ान आज़ाद वतन, प्रेम शान्ति क्षितिज नभ गाता है,
लिख दूँ गाथा स्वर्णिम अतीत, आगम भविष्य दर्शाता है॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥